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क्या कहते है सफलता के नियम ? ये तीन चीजें इंसान को ले जाती है विनाश की ओर

नई दिल्ली: चाणक्य की नीति के अनुसार मनुष्य को सबसे पहले अपने जीवन का मोल समझने का प्रयास करना चाहिए। मनुष्य का जीवन बेहद महत्वपूर्ण है. अपने इस जीवन को सुंदर बनाने का प्रयास करना चाहिए. मनुष्य को सदैव कल्याणकारी कार्य करने चाहिए, जिससे स्वयं व दूसरों का भी भला हो. इंसान को इस संसार […]

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क्या कहते है सफलता के नियम ? ये तीन चीजें इंसान को ले जाती है विनाश की ओर
  • July 1, 2022 5:07 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: चाणक्य की नीति के अनुसार मनुष्य को सबसे पहले अपने जीवन का मोल समझने का प्रयास करना चाहिए। मनुष्य का जीवन बेहद महत्वपूर्ण है. अपने इस जीवन को सुंदर बनाने का प्रयास करना चाहिए. मनुष्य को सदैव कल्याणकारी कार्य करने चाहिए, जिससे स्वयं व दूसरों का भी भला हो. इंसान को इस संसार को रहने योग्य बनाने में अपना योगदान देना चाहिए. विद्वानों का मानना है कि प्रत्येक मनुष्य में ईश्वर का वास होता है और ईश्वर हर इंसान को कुछ न कुछ खूबी और प्रतिभा प्रदान की है. तो मनुष्य को चाहिए कि इन खूबियों को जानकर, समझ कर वह उन्हें विकसित करे और सफलता में सहायक बने. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि व्यक्ति को अवगुणों से दूर रहना चाहिए. इसके साथ ही इन तीन चीजों से भी दूर रहना चाहिए क्योंकि ये तीन चीजें इंसान को विनाश की ओर ले जाती है.

आलस त्याग दें, ये सफलता में है बाधक

सफलता के नियम में आलस व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है. आलस एक ऐसा अवगुण है जो मनुष्य को कभी सफल नहीं होने देता है. आलसी मनुष्य हमेशा आज के काम को कल पर टालने का प्रयास करता रहता है. ऐसे में अलसी मनुष्य को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि समय किसी के लिए नहीं रूकता है. जो समय एक बार गुजर जाता है, वो किसी के लिए भी दोबारा लौटकर नहीं आता है. इसलिए आलस का त्याग करना चाहिए.

लोभ मनुष्य का बड़ा शत्रु

सफलता के नियमों में से लोभ, सबसे बुरी आदतों में से एक है. लोभ करने वाले व्यक्ति कभी संतुष्टि नहीं होती है. लोभी व स्वार्थी मनुष्य को कोई भी पसंद नहीं करता है. ऐसे लोग कभी भी बड़ी सफलता हासिल नहीं कर पाते हैं. प्रतिभा होने के बाद भी ऐसे लोग अन्य लोगों को पिछड़ जाते हैं. इसलिए इस अवगुण से दूर रहने चाहिए.

क्रोध कभी न करें

सफलता का आखिरी नियम है मनुष्य को क्रोध से भी दूरी बनाकर रखना चाहिए. क्योंकि क्रोध में मनुष्य सही और गलत का भेद भूल जाता है. क्रोध करने वाले को कभी सम्मान प्राप्त नहीं होता है और वह हर जगह स्वयं का अपमान कराता है.

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