Valmiki Jayanti: हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है। इस बार यह आज यानी गुरुवार 17 अक्टूबर को मनाई जा रही है। महर्षि वाल्मीकि ने ही हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ रामायण की रचना की थी। उनकी जयंती पर आज देश भर में कई तरह के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन […]
Valmiki Jayanti: हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है। इस बार यह आज यानी गुरुवार 17 अक्टूबर को मनाई जा रही है। महर्षि वाल्मीकि ने ही हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ रामायण की रचना की थी। उनकी जयंती पर आज देश भर में कई तरह के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। उनकी जयंती पर आइये जानते हैं उनसे जुड़े हुए किस्से के बारे में…
महर्षि वाल्मीकि को आदि कवि कहा जाता है। इसका मतलब हुआ कि वो संस्कृत के पहले मूल कवि हैं क्योंकि उन्होंने रामायण लिखी है। रामायण संस्कृत साहित्य परंपरा का पहला महाकाव्य माना जाता है। इन सबके बीच महर्षि वाल्मीकि की जाति को लेकर अक्सर बहस होती रहती है। कुछ लोग उन्हें ब्राह्मण कहते हैं तो कुछ लोग दलित मानते हैं। भारत की अनुसूचित जातियां खुद को वाल्मीकि का वंशज मानती है। हालांकि कई ग्रंथों में उन्हें ब्राह्मण बताया गया है।
स्कंद पुराण के नागर खंड में महर्षि वाल्मीकि जाति से ब्राह्मण बताए गए हैं। पुराण में लिखा है कि उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था और उनके बचपन का नाम लोहजंघा था। वाल्मीकि अपने माता-पिता को लेकर समर्पित थे। इसके अलावा अलग-अलग धार्मिक पुस्तकें महर्षि वाल्मीकि के जाति को लेकर तरह-तरह के दावे करते हैं। इतिहासकारों का भी इसे लेकर अलग मत है तो इस आधार पर वाल्मीकि की जाति का पता लगाना मुश्किल है।
इस जगह है 1300 साल पुराना वाल्मीकि का मंदिर, उमड़ती है हजारों श्रद्धालुओं की भीड़