Ramayan: माता सीता के बारे में वाल्मीकि रामायण और तुलिसदास कृत रामायण में कई वृतांत का उल्लेख है। मिथिला नरेश जनक को जानकी खेतों में हल चलाने के दौरान मिली थीं। उन्होंने माता सीता को अपनी पुत्री माना और उनका लालन-पालन किया। बाद में वो अयोध्या के राजकुमार राम की अर्धांगिनी बनीं। क्या आपको मालूम […]
Ramayan: माता सीता के बारे में वाल्मीकि रामायण और तुलिसदास कृत रामायण में कई वृतांत का उल्लेख है। मिथिला नरेश जनक को जानकी खेतों में हल चलाने के दौरान मिली थीं। उन्होंने माता सीता को अपनी पुत्री माना और उनका लालन-पालन किया। बाद में वो अयोध्या के राजकुमार राम की अर्धांगिनी बनीं। क्या आपको मालूम है कि असल में सीता लंकापति रावण और मंदोदरी की बेटी थी। आइये जानते हैं इसे पीछे की कहानी…
पौराणिक कथाओं के मुताबिक वेदवती भगवान विष्णु की उपासक थीं। बेहद सुन्दर, सुशील और धार्मिक स्वभाव की कन्या वेदवती भगवान विष्णु से विवाह करना चाहती थीं। वेदवती इसके लिए तपस्या करने लगी। एक दिन रावण उधर से गुजर रहा था तो उसकी नजर वेदवती पर पड़ी और वह मोहित हो गया। उसके अंदर वेदवती को लेकर यौन इच्छाएं जागृत हो गई। उसने वेदवती के साथ संबंध बनाने की कोशिश की। वेदवती ने हवन कुंड में कूदकर अपनी जान दे दी और रावण को श्राप दिया कि वो भविष्य में उसकी मृत्यु का कारण बनेगी।
अद्भुत रामायण में जिक्र है कि गृत्स्मद नामक ब्राह्मण स्वंय लक्ष्मी को अपनी पुत्री रूप में पाना चाहता था। इसे लेकर वह प्रतिदिन कलश में मंत्रोच्चारण के साथ दूध की कुछ बूंदे डालता था। एक दिन राण वहां आया तो ब्राह्मण कही गए हुए थे। उसने वहां मौजूद सभी ऋषि-मुनियों को मार दिया और रक्त कलश से भर लिया। उसने यह कलश मंदोदरी को सौंप दिया। रावण ने मंदोदरी से कहा कि यह विष है, इसलिए इसे छुपा कर रख दो। एक दिन रावण के व्यव्हार से दुखी होकर मंदोदरी ने कलश में रखा सारा रक्त पी लिया। इसे पीने से मंदोदरी गर्भवती हो गई। लोकलाज से उसने अपनी पुत्री को कलश में छिपाकर दूर रखवा दिया। यहीं से जनक को जानकी मिलीं। अद्भुत रामायण में यह भी लिखा है कि रावण कहता है कि जब मैं भूलवश अपनी ही पुत्री से प्रणय की इच्छा जाहिर करूं तो वह मेरी मौत का कारण बने।
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