नई दिल्ली. हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है हिन्दू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन भगवान राम और माता सीता शादी के पवित्र बंधन में बंधे थे. तब से हर साल यह दिन राम-सीता के विवाहोत्सव […]
नई दिल्ली. हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है हिन्दू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन भगवान राम और माता सीता शादी के पवित्र बंधन में बंधे थे. तब से हर साल यह दिन राम-सीता के विवाहोत्सव के रूप में देश के कुछ हिस्सों में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. इस साल विवाह पंचमी का पर्व 28 नवंबर 2022 को मनाया जाएगा, अब वैसे तो श्री राम और माता सीता की उपासना के लिए यह दिन बड़ा ही शुभ है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन को शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है कहा जाता है कि इस दिन शादी नहीं करनी चाहिए.
देव उठनी एकादशी के बाद शादी-विवाह जैसे सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. इसके बाद लोग बिना किसी झिझक के शुभ मुहूर्त देखकर शादियों की तारीख तय करते हैं, हालांकि इस दौरान विवाह पंचमी भी पड़ती है, जिसमें शादी करना अशुभ माना जाता है, आइए आज आपको इसके बार में बताते हैं-
ज्योतिषविदों के मुताबिक, विवाह पंचमी का दिन शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए अशुभ होता है, अगर व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति ठीक हो, तब भी इस दिन शादी नहीं करनी चाहिए. सनातन धर्म के मुताबिक, इस दिन भगवान श्री राम का विवाह माता सीता से हुआ था, भले ही भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है लेकिन उनसे विवाह के बाद माता सीता को अपने जीवन में बड़े दुखों का सामना करना पड़ा था.
माता सीता मिथिला के राजा जनक की पुत्री थी और इसीलिए उन्हें जानकी भी कहा जाता था. कहते हैं कि राजा जनक को सीता एक खेत में मिली थीं जिस वजह से उनका एक नाम भूमिजा भी है. माता सीता की जब भगवान राम से शादी हुई तो उसके बाद उन्हें बहुत से दुख झेलने पड़े, शादी के कुछ दिनों के अंदर ही उन्हें वनवास हो गया. इसके बाद लंकापति रावण उनका हरण कर लंका ले गया. रामायण के मुताबिक, लंका पर विजयी परचम लहराने के बाद भगवान राम अयोध्या पहुंचे और कुछ समय बाद ही उन्हें मजबूरन माता सीता का परित्याग करना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने लव और कुश को जन्म दिया. कुल मिलाकर माता सीता ने वैवाहिक जीवन में बहुत कम खुशियां देखी थीं और यही वजह है कि लोग इस दिन शादी करने से कतराते हैं. उन्हें डर रहता है कि इस दिन अगर उनकी शादी होगी तो उन्हें भी जीवन में माता सीता जैसे कष्टों का सामना करना पड़ेगा, इसीलिए ये दिन शादी के लिए अशुभ माना जाता है.
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