Vishwakarma Puja 2018 Date Calendar: विश्वकर्मा पूजा 2018 कब है, हर साल विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति को मनाई जाती है. इस दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था. इस बार विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर के दिन मनाई जाएगी.
नई दिल्ली : हर साल की तरह ही इस साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर 2018 को मनाया जाएगा. यह पूजा कन्या संक्रांति को मनाई जाती है. इस दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था. भगवान विश्वकर्मा को हिंदू धर्म में सृजन और बनाने का देवता माना जाता है. विश्वकर्मा पूजा को ”देवताओं का शिल्पकार” के नाम से भी जाना जाता है. ये त्योहार पूरे देश में बड़े जोरों शोरो से मनाया जाता है. इस दिन सभी लोग अपने औजारों की सफाई कर के उन की पूजा करते है पूजा के बाद बड़े उल्लास से प्रसाद बांटते हैं. इसी लिए इस दिन को विश्वकर्मा जयंती के नाम से भी जाना जाता है.
मुख्य रुप से ये पूजा कलाकार, बुनकर, शिल्पकार और औद्दोगपति करते हैं. हालाकि देश में कई जगह ये पूजा दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है. इस दिन सभी लोग अपनी दुकानें नहीं खोलते है बल्कि पूरे जोश के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं. ज्यादातर ये पर्व अत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटर और दिल्ली राज्यों में बहुत बड़ी मूर्ति स्थापित की जाती है फिर उन की अराधना होती है.
विश्वकर्मा पूजा में सभी अपनी दुकानों को रंग बिरंगे कागज से सजाते है, गुब्बारों का भी प्रयोग करते है. फिर सब अपने औजारों की पूजा करते है. क्योंकि बिना औजारों के हम कोई भी चीज नहीं बना सकते है. जैसे कुर्सी, मेज से लेकर बड़े हवाई जहाज, ट्रेन, लड़ाकू विमान और युध्दपोत बनाने के लिए हमे औजारों की बहुत जरुरत होती है. एसी मान्यता है की भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से शिल्प का विकास होता है और ज्ञान की प्राप्ती होती है. इस पूजा से लोग और अच्छे से अपना काम कर पाते हैं. हमने जितना भी विकास आस-पास देखा है वो सब शिल्प कला के लोगो द्वारा ही किया गया है.
विश्वकर्मा पूजा की मान्यता
माना जाता है कि प्राचीन काल में जितनी भी राजधानियां बनाई गई थी वो सभी विश्वकर्मा की ही बनाई कही जाती हैं. यहां तक की ‘स्वर्ग लोक’, द्वारिका और हस्तिनापुर ने
विश्वकर्मा द्वारा बनाया गया था. इस से ये पता चलता है कि धन- धान्य और सुख-समृद्वि की इच्छा रखने वाले पुरुषों को भगवान विश्वकर्मा की पूजा करना जरुरी और मंगलदायी बनाते है.
विश्वकर्मा पूजा करने की विधि
सुबह जल्दी उठकर नहाना चाहिये ताकि साफ हो जाए. फिर पूजा वाली जगह को साफ कर के भगवान विश्वकर्मा की फोटो रखनी चाहिये. उस के बाद भगवान की फोटो पर माला चढ़ाये, धूप और दीपक जलाये फिर अपने औजारों की भी पूजा करें. भगवान विश्वकर्मा को प्रसाद का भोग लगाये. अंत में हाथ में फूल और अक्षत लेकर विश्वकर्मा भगवान का ध्यान करे.
विश्वकर्मा पूजा करने से अपने व्यापार में तरक्की होती है. एक दूकान से दो दूकान हो जाती है. एक कारखाना से 2 या 3 कारखाने हो जाते हैं. इस पजा से व्यापार बढ़ता है. पूजा करने से मशीनें धोखा नहीं देती, बार-बार खराब भी नहीं होती है.
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