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Vinayak Chaturthi: आज है वैशाख माह की विनायक चतुर्थी, देखें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

नई दिल्ली : हिंदू धर्म में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, और हर नया काम भगवान के आशीर्वाद से ही शुरू होता है. बता दें कि बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करना बहुत अच्छा होता है, लेकिन विनायक चतुर्थी इस मायने में अधिक भाग्यशाली है कि इससे विशेष आशीर्वाद […]

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Vinayak Chaturthi:
  • May 11, 2024 8:35 am Asia/KolkataIST, Updated 8 months ago

नई दिल्ली : हिंदू धर्म में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, और हर नया काम भगवान के आशीर्वाद से ही शुरू होता है. बता दें कि बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करना बहुत अच्छा होता है, लेकिन विनायक चतुर्थी इस मायने में अधिक भाग्यशाली है कि इससे विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन अगर आप रीति-रिवाज के मुताबिक भगवान की पूजा करेंगे तो आपको अच्छे फल की प्राप्ति होगी. दरअसल भगवान श्री गणेश भक्तों की सभी समस्याओं का निवारण करते हैं इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है.

वैशाख माह की विनायक चतुर्थी व्रत शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है. इस दिन व्रत करने से चिंताओं से मुक्ति मिलती है. साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. इस बार विनायक चतुर्थी 11 मई 2024 को मनाई जाएगी. इस दौरान भगवान गणेश की पूजा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए. इससे जीवन में उन्नति के अवसर बनते हैं, तो आइये जानें पूजा विधि से लेकर शुभ मुहूर्त के बारे में….

विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त

बता दें कि वैशाख माह में विनायक चतुर्थी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 10.57 से दोपहर 01.39 तक का होगा. इस मुहूर्त में गणेश जी की विधि मुताबिक पूजा कर सकते हैं.

विनायक चतुर्थी की पूजा विधि

Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी में क्या अंतर है

Vinayak Chaturthi 2024

1. विनायक चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे.
2. इस दिन स्नान कर के घर में चौकी लगाकर लाल या पीले रंग का साफ वस्त्र उसपर बिछाएं.
3. अब गणेश भगवान को धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें.
4. इस दौरान उन्हें दूर्वा और पीले फूल भी अर्पित करें.
5. बाद में गणेश जी के साथ-साथ सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें.
6. इस दौरान गणेश जी के मंत्रों का जाप करें

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गणेश जी के मुख्य मंत्र

1- वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

2 – ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥

3-ऊँ गं गणपतये नमो नमः

4-ॐ गं गणपतये नमः

5- “ॐ वक्रतुंडाय हुम्”

शुभ- लाभ मंत्र

ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।

मंगल विधान हेतु गणेश मंत्र

गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

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