नई दिल्ली : वट सावित्री व्रत जिसे सावित्री अमावस्या या वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि रविवार 6 जून 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी खुशी ,दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. ये माना जाता है कि इस व्रत को करने […]
नई दिल्ली : वट सावित्री व्रत जिसे सावित्री अमावस्या या वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि रविवार 6 जून 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी खुशी ,दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. ये माना जाता है कि इस व्रत को करने से परिवार के सदस्यों को सुख की प्राप्ति होती है और पारिवारिक जीवन खुशहाल बना रहता है.
कई लोगों का ये भी मानना है कि ये व्रत करवा चौथ व्रत जितना ही महत्वपूर्ण है. इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, ऐसा कहा जाता है कि इससे उन्हें लंबी उम्र, सुख, समृद्धि और अखंड सौभाग्य मिलता है और सभी प्रकार के विवाद और चिंताएं भी दूर हो जाती हैं.
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1. इस दिन महिलाएं प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करके लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें.
2. फिर शृंगार करके तैयार हो जाएं, साथ ही सभी पूजन सामग्री को एक स्थान पर एकत्रित कर लें और थाली सजा लें.
3. किसी वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा स्थापित करें.
4. फिर बरगद के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें और पुष्प, अक्षत, फूल, भीगा चना, गुड़ व मिठाई चढ़ाएं.
5. वट के वृक्ष पर सूत लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करें और अंत में प्रणाम करके परिक्रमा पूर्ण करें.
6.अब हाथ में चने लेकर वट सावित्री की कथा पढ़ें या सुनें, इसके बाद पूजा संपन्न होने पर ब्राह्मणों को फल और वस्त्रों करें.
बता दें कि वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर रखा जाता है. पंचांग के मताबिक अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून की शाम को 5 बजकर 54 मिनट पर है. हालांकि इसका समापन 6 जून 2024 शाम 6 बजकर 07 मिनट पर होगा, और उदया तिथि को देखते हुए इस साल वट सावित्री व्रत 6 जून को रखा जाएगा. दरअसल इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त प्रातः 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर होगा.
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