नई दिल्ली : वट सावित्री व्रत जिसे सावित्री अमावस्या या वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि रविवार 6 जून 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी खुशी ,दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. ये माना जाता है कि इस व्रत को करने […]
नई दिल्ली : वट सावित्री व्रत जिसे सावित्री अमावस्या या वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि रविवार 6 जून 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी खुशी ,दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. ये माना जाता है कि इस व्रत को करने से परिवार के सदस्यों को सुख की प्राप्ति होती है और पारिवारिक जीवन खुशहाल बना रहता है.
कई लोगों का ये भी मानना है कि ये व्रत करवा चौथ व्रत जितना ही महत्वपूर्ण है. इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, ऐसा कहा जाता है कि इससे उन्हें लंबी उम्र, सुख, समृद्धि और अखंड सौभाग्य मिलता है और सभी प्रकार के विवाद और चिंताएं भी दूर हो जाती हैं.
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बता दें कि वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर रखा जाता है. पंचांग के मताबिक अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून की शाम को 5 बजकर 54 मिनट पर है. हालांकि इसका समापन 6 जून 2024 शाम 6 बजकर 07 मिनट पर होगा, और उदया तिथि को देखते हुए इस साल वट सावित्री व्रत 6 जून को रखा जाएगा. दरअसल इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त प्रातः 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर होगा.
वट सावित्री के व्रत के दिन विवाहित महिलाएं सुबह उठकर स्नान करती हैं, श्रृंगार करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं. ऐसा माना जाता है कि अगर महिलाएं वट सावित्री व्रत के दिन विधिवत पूजन करने से अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है. इसके साथ ही पूजा का सामान तैयार करके बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करती हैं और कथा सुनती हैं.
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