Vat Savitri Vrat 2024: सभी दुख और कष्ट करना चाहते हैं दूर, तो वट सावित्री व्रत पर पूजा के समय करें ये आरती

नई दिल्लीः सनातन धर्म में वट सावित्री का विशेष महत्व है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना के लिए व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। इस अवसर पर यम के देवता धर्मराज या यमराज की भी पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है […]

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Vat Savitri Vrat 2024: सभी दुख और कष्ट करना चाहते हैं दूर, तो वट सावित्री व्रत पर पूजा के समय करें ये आरती

Tuba Khan

  • June 6, 2024 8:43 am Asia/KolkataIST, Updated 5 months ago

नई दिल्लीः सनातन धर्म में वट सावित्री का विशेष महत्व है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना के लिए व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। इस अवसर पर यम के देवता धर्मराज या यमराज की भी पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि वट सावित्री के दिन धर्मराज की पूजा करने से भक्त पति-पत्नी के रूप में अखंड आनंद प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही जीवन में आने वाली परेशानियां भी टल जाती हैं। व्रत के इस पुण्य से सुख-संपदा में भी वृद्धि होती है। अगर आप धर्मराज जी की कृपा पाना चाहते हैं तो ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट वृक्ष की विधिपूर्वक पूजा करें। पूजा के अंत में धर्मराज की आरती करें।

धर्मराज जी की आरती

धर्मराज कर सिद्ध काज, प्रभु मैं शरणागत हूँ तेरी ।

पड़ी नाव मझदार भंवर में, पार करो, न करो देरी ॥

धर्मराज कर सिद्ध काज…

धर्मलोक के तुम स्वामी, श्री यमराज कहलाते हो ।

जों जों प्राणी कर्म करत हैं, तुम सब लिखते जाते हो ॥

धर्मराज कर सिद्ध काज…

अंत समय में सब ही को, तुम दूत भेज बुलाते हो ।

पाप पुण्य का सारा लेखा, उनको बांच सुनते हो ॥

भुगताते हो प्राणिन को तुम, लख चौरासी की फेरी ॥

धर्मराज कर सिद्ध काज…

चित्रगुप्त हैं लेखक तुम्हारे, फुर्ती से लिखने वाले ।

अलग अगल से सब जीवों का, लेखा जोखा लेने वाले ॥

धर्मराज कर सिद्ध काज…

पापी जन को पकड़ बुलाते, नरको में ढाने वाले ।

बुरे काम करने वालो को, खूब सजा देने वाले ॥

कोई नही बच पाता न, याय निति ऐसी तेरी ॥

धर्मराज कर सिद्ध काज…

दूत भयंकर तेरे स्वामी, बड़े बड़े दर जाते हैं ।

पापी जन तो जिन्हें देखते ही, भय से थर्राते हैं ॥

धर्मराज कर सिद्ध काज…

बांध गले में रस्सी वे, पापी जन को ले जाते हैं ।

चाबुक मार लाते, जरा रहम नहीं मन में लाते हैं ॥

नरक कुंड भुगताते उनको, नहीं मिलती जिसमें सेरी ॥

॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥

धर्मी जन को धर्मराज, तुम खुद ही लेने आते हो ।

सादर ले जाकर उनको तुम, स्वर्ग धाम पहुचाते हो ।

धर्मराज कर सिद्ध काज…

जों जन पाप कपट से डरकर, तेरी भक्ति करते हैं ।

नर्क यातना कभी ना करते, भवसागर तरते हैं ॥

कपिल मोहन पर कृपा करिये, जपता हूँ तेरी माला ॥

धर्मराज कर सिद्ध काज…

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