Vat Savitri Vrat 2019: वट सावित्री व्रत 2019 इस बार 3 जून को है. सोमवार को सोमवती अमावस्या, 'सर्वार्थसिद्धि' योग और शनि जंयती भी है. जिसके बाद ये विशेष संयोग व फलदायी व्रत है. जानिए इस खास संयोग वाले दिन किस शुभ मुहूर्त में पूजा करें और क्यों की जाती है वट वृक्ष की पूजा.
नई दिल्ली. वट सावित्री व्रत इस बार तीन जून 2019 को पड़ रहा है. इस मौके पर सुहागिनें पति की लंबी आयु व सलामती के लिए बरगद व वट के वृक्ष की पूजा करती हैं. इस साल वट सावित्री के व्रत के दिन चार विशेष संयोग बन रहे हैं. जिससे कि वर्तियों विशेष लाभ व मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी. बता दें ज्येष्ठ मास के व्रतों में वट सावित्री व्रत सबसे प्रभावी व्रत है. इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार कर पति की लंबी आयु के लिए कामना करती हैं. इस दिन खास तौर पर वट वृक्ष की पूजा की जाती है.
जानिए वट सावित्री पर कौन से हैं चार दुर्लभ संयोग
सोमवार के दिन अमावस्या और शनि जंयती भी है. इस दिन तीन विशेष पर्व व शुभ अवसर हैं. इन सबके प्रभाव के कारण ये व्रत अति दुर्लभ बनता है. सोमवती अमावस्या व शनि जंयती होने की वजह से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है. इस दिन की गई विधिवत पूजा जरूर श्रद्धालुओं को फल दिलवाएगी व दोगुना फल प्राप्त होगा. इन विशेष संयोग के अलावा 3 जून को पूरे दिन ‘सर्वार्थसिद्धि’ योग भी प्राप्त हो रहा है. सोमवार दिन में 10: 20 मिनट तक ‘सुकर्मा’ योग है. जिसे सरल तरीके से कहें तो ये बेहद शुभ व फलदायी योग है.
इस दिन क्यों करते हैं वट वृक्ष की पूजा
वट देव वृक्ष जिन्हें मूल रूप से भगवान ब्रह्मा, मध्य में जनार्दन विष्णु तथा अग्रभाग में देवाधिदेव शिव होने की मान्यता है. इस वृक्ष में इन देवताओं के अलावा देवी सावित्री भी इसमें प्रतिष्ठित रहती हैं. इस शक्तिशाली वृक्ष की पूजा करने से इन देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है. इतना ही नहीं इस अक्षय वट वृक्ष में भगवान श्रीकृष्ण ने बालरूप में मार्कण्डेय ऋषि को प्रथम दर्शन दिया था. ये वृक्ष वैज्ञानिक तौर पर भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये हानिकारक गैसों को नष्ट कर वातावरण को स्वच्छ बनाता है.
जानिए व्रत वट- सावित्री के नाम से क्यों जाना जाता है
इसी अक्षय वट वृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने मृत पति सत्यवान को तमाम पूजा पाठ व प्रार्थना कर दोबारा जीवित किया था. उसकी सच्ची प्रतिष्ठा देख उसके पति की प्राण दोबारा आए. जिसके बाद से यह व्रत वट- सावित्री के नाम से किया जाता है.
वट सावित्री व्रत व पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 02 जून 2019.. शाम 04 बजकर 39 मिनट
अमावस्या तिथि समाप्त: 03 जून 2019.. दोपहर 03 बजकर 31 मिनट