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Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी आज, जानें सही मुहूर्त और पूजन विधि

नई दिल्ली : हिंदुओं में उत्पन्ना एकादशी का बहुत महत्व होता है. इसे उत्पत्ती एकादशी के रूप में भी जाना जाता है. उत्पन्ना एकादशी के शुभ दिन पर भगवान विष्णु के भक्त उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा आराधना करते हैं. मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को […]

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  • November 20, 2022 9:21 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : हिंदुओं में उत्पन्ना एकादशी का बहुत महत्व होता है. इसे उत्पत्ती एकादशी के रूप में भी जाना जाता है. उत्पन्ना एकादशी के शुभ दिन पर भगवान विष्णु के भक्त उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा आराधना करते हैं. मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है. इस साल उत्पन्ना एकादशी का व्रत 20 नवंबर 2022(रविवार) को यानी आज किया जा रहा है. आइए जानते हैं क्या है शुभ मुहूर्त और पूजन विधि.

महत्व

उत्पन्ना एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित दिन होता है मान्यता है कि जो लोग इस शुभ दिन पर उपवास करते हैं उन्हें सभी पापों से छुटकारा मिलता है. वह लोग सीधे वैकुंठ धाम (भगवान विष्णु का निवास) जाते हैं. भारत के उत्तरी भाग में, यह एकादशी मार्गशीर्ष के महीने में आती है जबकि भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे कार्तिक के महीने में मनाने की परंपरा है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता एकादशी की भी पूजा अर्चना की जाती है. पुराणों में ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की शक्तियों में से एक देवी एकादशी ने उत्पन्न होकर राक्षस मुर का संहार किया था. इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी की तरह जाना जाता है.

शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी हर साल मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष के 11वें दिन होती है. इसकी शुरुआत 19 नवंबर 2022 यानी कल सुबह 10 बजकर 29 मिनट से हो चुकी है. उत्पन्ना एकादशी का समापन 20 नवंबर 2022 यानी आज सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर होने वाला है. उदयातिथि के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर को ही मनाई जाएगी. इसका पारण 21 नवंबर को सुबह 06 बजकर 40 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 47 मिनट तक किया जाएगा.

पूजन विधि

एकादशी के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें
सभी कार्यों को करने के बाद स्नान करें
भगवान का पूजन करें तथा व्रत कथा सुने
भगवान विष्णु को सिर्फ फलों का ही भोग लगाएं
रात में भजन-कीर्तन करें
भगवान श्रीहरि से जाने-अनजाने में की गई गलतियों के लिए क्षमा मांगे
द्वादशी तिथि की सुबह ब्राह्मण या किसी गरीब को भोजन करवाएं

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