नई दिल्ली. हर साल 24 एकादशी होती हैं. इन एकादशियों को विभिन्न नामों से जाना जाता है. एकादशी को ग्यारस भी कहा जाता है. मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष के दिन पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जानते हैं. मान्यता है कि एकादशी देवी का जन्म हुआ था. जिनका जन्म भगवान विष्णु से हुआ था. इस दिन लोग व्रत करते हैं और विधि विधान पूर्वक पूजा करते हैं.
एकादशी व्रत कोई भी व्यक्ति कर सकता है. इस दिन व्रत करने से ऐश्वर्य, संतति, स्वर्ग, मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है. साथ ही इस व्रत को करने से भक्तजनों के सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है. उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने राक्षस मुरसुरा को मारा था. इस उपलक्ष्य में इस त्योहार को मनाने की परंपरा शुरू हुई. तब से इस एकादशी को त्योहार की तरह मनाया जाता है. बता दें उत्तर भारत में उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष महीने में मनाई जाती है जबकि दक्षिण भारत में ये एकादशी में कार्तिक माह में मनाया जाता है.
उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा
एक भयानक राक्षस ने अपनी शक्तियों से स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था. राक्षस का नाम मुर था, इसके पराक्रम से स्वर्ग में कोई भी देवता टिक नहीं पाया था. जिसके बाद सभी देवतागण भोलेनाथ के पास गए और उन्हें पूरी गाथा सुनाई. तभी भगवान शिव ने सभी को भगवान विष्णु के पास जाने को कहा. तभी सभी देवतागण क्षीरसागर पहुंचे. वहां देखा कि विष्णु गहरी नींद में थे. सभी देवों ने विष्णु भगवान के जगने के इंतजार किया. जब भगवान विष्णु गहरी निंद्रा से जागे तो देवताओं ने वृतांत सुनाई. जिसके बाद विष्णु भगवान सोच में पड़ कि ऐसा कौन सा राक्षस है जिसने सभी देवताओं को स्वर्ग से निकलने पर विवश कर दिया. तभी विष्णु भगवान राक्षस का वध करने गए तो विष्णु जी के शरीर से एक देवी का जन्म हुआ. और उन्होंने मुर राक्षस का वध कर दिया. तब भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर कहा कि ये कन्या एकादशी के दिन उत्पन्न हुई है इसीलिए तुम्हें उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाएगा. साथ ही इस दिन जो भी व्यक्ति पूरी निष्ठा-भाव के साथ व्रत और पूजा करेगा, उसकी सभी मनोकामना पूरी होंगी.
उत्पन्ना एकादशी तिथि
उत्पन्ना एकादशी तिथि प्रारंभ: 13 नवंबर 2017 को 12.24 बजे
उत्पन्ना एकादशी तिथि समाप्त: 14 नवंबर 2017 12.24 बजे तक
उत्पन्ना एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त
सुबह 06.47 बजे से 8.54 बजे तक
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