Advertisement
  • होम
  • अध्यात्म
  • Tulsi Vivah Vrat Katha: 9 नवंबर को तुलसी विवाह, यहां सुनिए तुलसी विवाह व्रत कथा

Tulsi Vivah Vrat Katha: 9 नवंबर को तुलसी विवाह, यहां सुनिए तुलसी विवाह व्रत कथा

Tulsi Vivah Vrat Katha: कार्तिक महीने में तुलसी विवाह करवाना बेहद शुभ माना जाता है और इस बार तुलसी विवाह 9 नवंबर को पड़ रहा है. इस दिन को काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. साथ ही बताया जाता है कि जिस घर में तुलसी की होती है, उस घर में सुख शांती का वास होता है और घर में साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे नाकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है.

Advertisement
Tulsi-Vivah-Vart-Katha
  • November 4, 2019 1:20 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. Tulsi Vivah Vrat Katha: हिन्दू धर्म के अनुसार तुलसी विवाह बेहद शुभ माना जाता है और इसको काफी महत्व भी दिया जाता है. ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जिस घर में तुलसी की होती है, उस घर में सुख शांती का वास होता है और घर में साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे नाकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है. तुलसी विवाह कराने की विधी में बताया गया है कि तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे को दुल्हन की तरह ही चुनरी ओढ़ा कर और श्रृंगार का सामान उनके साथ रखकर शालिग्राम यानी भगवान विष्णु के साथ करावाया जाता है. तुलसी विवाह उसी प्रकार किया जाता है जिस प्रकार आम विवाह होते हैं.

इस दिन भी घर पर पंडित जी को बुलाकर तुलसी का विधी विधान के साथ विवाह करवाया जाता है. तुलसी हमेशा से ही घर में शांती का प्रतिक रही है. हिन्दू धर्म के अनुसार तुलसी को बेहद पवित्र माना जाता है. साथ ही हर पर्व पर उनकी पूजा भी की जाती है. मान्यताओं की माने तो रोज शाम को तुलसी के पौधे में धूप-दीप करने से घर में सुख शांती और साकारात्मक ऊर्जाओं का प्रवेश होता है, कहा जाता है कि जिस प्रकार अन्य भगवान आपके जीवन में बेहद मायने रखते हैं उसी प्रकार तुलसी भी बेहद मायने रखती है.

तुलसी विवाह व्रत कथा (Tulsi Vivah Vrat Katha in Hindi)
प्रचीन काल में एक जलंधर नाम का असुर था, जिसका विवाह वृंदा नाम की एक लड़की से हुआ था. वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थीं. साथ ही वृंदा एक पतिव्रता नारी थीं, जिसके चलते उसका पति यानी की असुर जलंधर अजेय बन चुका था और उसे इस बात का काफी घमंड भी हो गया था. इस घमंड के चलते वो स्वर्ग की अप्सराओं को परेशान भी करने लगा था. वहीं जब सभी देवता उसकी इन हरकतों से परेशान आ गए तो सभी मिलकर भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनसे मदद की गुहार करने लगे.

भगवान वुष्णु ने भी देवाताओं की मदद करने के लिए असुर जलंधर का रुप धारण कर लिया और सीधा वृंदा के पास उसके घर पहुंचे गए और उन्होंने वृंदा के पतिव्रता धर्म को नष्ट कर दिया. जिसकी वजह से जलंधर की शक्तियां कम हो गई और वह युद्ध में मारा गया और वहां वृंदा ने भगवान विष्णु के इस छल के कारण उन्हें पत्थर हो जाने का श्राप दे दिया. इतना सभी हो जाने के बाद सभी देवी देवताओं ने वृंदा से अपना श्राप वापस लेने का आग्रह किया. वृंदा ने अपना श्राप तो वापस ले लिया, लेकिन खुद को अग्नि में भस्म कर लिया. उसके भस्म हो जाने के बाद भगवान विष्णु ने वृंदा की राख से एक तुलसी के पौधे में बदल दिया और वरदान दिया कि मेरी पूजा के साथ के पृथ्वीं के अंत तक तुलसी की भी पूजा होगी.

कब है तुलसी विवाह
कार्तिक महीने में तुलसी विवाह करवाना बेहद शुभ माना जाता है और इस बार तुलसी विवाह 9 नवंबर को पड़ रहा है.

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
द्वादशी तिथि प्रारंभ- 8 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से
द्वादशी तिथि अंत- 9 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट तक

Tulsi Vivah 2019 Date: जानें कब है तुलसी विवाह, शुभ मुहूर्त पूजा विधि

Horoscope Today Monday 4 November 2019 in Hindi: कन्या राशि के कारोबारियों को होगा बंपर धन लाभ

Aaj Ka Rashifal In Hindi 3 November 2019: 12 साल बाद बन रहा है ऐसा शुभ योग, इन राशि वालों के लिए होगा लाभदायक

Tags

Advertisement