नई दिल्ली। आज देशभर में तुलसी विवाह मनाया जा रहा है। तुलसी विवाह का आयोजन हर साल कार्तिक शुक्ल द्वादशी को किया जाता है। इससे एक दिन पहले देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा के बाद बाहर आते हैं और चातुर्मास खत्म हो जाता है। इसके बाद मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।
एकादशी के अगले दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। जिसमें भगवान शालिग्राम का तुलसी से विवाह कराया जाता है। तुलसी विवाह के बाद से ही मुंडन, सगाई, विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।
तुलसी विवाह आज शाम 6:08 से प्रारंभ होकर 26 नवंबर 2022 शाम 5:06 पर समाप्त होगी।
भगवान विष्णु की तस्वीर या शालिग्राम पत्थर, तुलसी का पौधा, दो चौकी, धूप, दीप, अक्षत्, हल्दी, पीला वस्त्र, लाल चुनरी, लाल साड़ी, श्रृंगार सामग्री, सुहाग का सामान, फूल, माला, गन्ना, सीताफल, मूली, आंवला, सिंघाड़ा, अमरूद, शकरकंद आदि, गाय का घी, रुई की बत्ती, कुमकुम, रोली, मिठाई आदि।
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी,
आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।
मान्यता के मुताबिक कार्तिक मास में तुलसी पूजन करने से लाभ दोगुना हो जाता है। जिन दंपत्तियों को संतान सुख नहीं मिला है उन्हें भी तुलसी पूजन करना चाहिए। साथ ही पूरे कार्तिक माह में तुलसी के सामने दीपक जलाना चाहिए। अगर किसी कारणवश दीपक नहीं जलता है तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन 31 पूर्ण दीपक जलाना चाहिए।
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