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आज है उत्पन्ना एकादशी, जानिए इस दिन का विशेष महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

आज, 26 नवम्बर 2024 को उत्पन्ना एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है। यह एकादशी विशेष रूप से भगवान विष्णु की उपासना के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन का महत्व धार्मिक शास्त्रों में बहुत अधिक है

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  • November 26, 2024 8:31 am Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

नई दिल्ली: आज, 26 नवम्बर 2024 को उत्पन्ना एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है। यह एकादशी विशेष रूप से भगवान विष्णु की उपासना के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन का महत्व धार्मिक शास्त्रों में बहुत अधिक है और इसे विशेष रूप से व्रत और पूजा के द्वारा भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का दिन माना जाता है।

उत्पन्ना एकादशी का महत्व

उत्पन्ना एकादशी को भगवान विष्णु के भक्तों के लिए विशेष पुण्य प्राप्ति का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के चरणों में भक्ति और संप्रभुता की प्राप्ति के लिए उपासना की जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि

1. स्नान और शुद्धि: सबसे पहले इस दिन प्रातःकाल उठकर पवित्रता के लिए स्नान करें। स्नान के बाद अच्छे से सफेद या हल्के रंग के कपड़े पहनें।

2. व्रत की शुरुआत: अगर व्रत रखना हो तो दिनभर उपवासी रहें। व्रत में केवल फलाहार का सेवन करें। व्रत का पालन पूरे दिन निष्ठा और श्रद्धा से करें।

3. भगवान विष्णु की पूजा: दिनभर भगवान विष्णु का ध्यान करें और विशेष रूप से श्रीविष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी दल का विशेष महत्व है।

4. दीप जलाना: शाम को दीप जलाकर भगवान विष्णु की पूजा करें। विशेष रूप से चरणामृत और फल अर्पित करें।

5. दीन-हीन की सहायता: इस दिन गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन दान करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है।

6. श्रीविष्णु की आरती: पूजा के बाद भगवान विष्णु की आरती करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

शुभ मुहूर्त

उत्पन्ना एकादशी का पूजा का विशेष मुहूर्त 26 नवम्बर 2024 को देर रात 1 बजकर 01 मिनट से शुरू हो गई है और 27 नवंबर की देर रात 3 बजकर 47 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। इस समय में पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

इस दिन का खास महत्व

उत्पन्ना एकादशी का व्रत और पूजा विशेष रूप से घर में सुख-शांति और समृद्धि लाने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन संतान सुख के लिए भी पूजा की जाती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है, जो संतान प्राप्ति की कामना करते हैं।

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