नई दिल्ली: आज द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी का पर्व है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी का व्रत फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन रखा जाता है. इसके अलावा भगवान गणेश की विधिवत पूजा का भी विधान है. ऐसा माना जाता है कि इससे व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर […]
नई दिल्ली: आज द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी का पर्व है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी का व्रत फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन रखा जाता है. इसके अलावा भगवान गणेश की विधिवत पूजा का भी विधान है. ऐसा माना जाता है कि इससे व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और शुभ परिणाम मिलते हैं. अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त दुख-दर्द से छुटकारा पाना चाहते हैं तो द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की पूजा करें. तो ऐसे में आइए जानते हैं इसकी पूजा विधि और महत्व के बारे में…
पंचान के मुताबिक कि फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 28 फरवरी को 28 फरवरी को देर रात 1 बजकर 53 मिनट पर हो रही है, और इसका समापन अगले दिन 29 फरवरी को सुबह 4 बजकर 18 मिनट पर हो जाएगा. बता दें कि संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने के 2 शुभ मुहूर्त हैं, और पहला सुबह 6:48 बजे से है. प्रातः 9:41 बजे तक दूसरा सत्र शाम 4:53 बजे से शुरू होगा. चंद्रोदय की बात करें तो चंद्रोदय 28 फरवरी को रात 9:42 बजे होगा.
1. संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजा स्थान की साफ-सफाई करें और गंगाजल जरूर छिड़कें.
2. इसके बाद फिर भगवान गणेश को वस्त्र पहनाएं और मंदिर में दीप जलाए.
3. फिर गणेश जी को तिलक करें और पुष्प चढ़ाए.
4. इसके दौरान भगवान गणेश को 21 दूर्वा की गांठ चढ़ाए.
5. फिर गणेश जी को घी और मोतीचूर के लड्डू या फिर मोदक का भोग भी लगाएं.
6. पूजा खत्म होने के बाद आरती करें .
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