आज माघ माह की अमावस्या यानी मौनी अमावस्या मनाई जा रही है। इस साल की मौनी अमावस्या काफी खास है, क्योंकि इस अवसर पर महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान किया जा रहा है. धार्मिक मान्यता है कि महाकुंभ में अमृत स्नान करने से साधक को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
नई दिल्ली: आज माघ माह की अमावस्या यानी मौनी अमावस्या मनाई जा रही है। इस साल की मौनी अमावस्या काफी खास है, क्योंकि इस अवसर पर महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान किया जा रहा है. धार्मिक मान्यता है कि महाकुंभ में अमृत स्नान करने से साधक को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। चलिए जानते हैं कि आज मौनी अमावस्या पर आप किस शुभ मुहूर्त में स्नान करें और किस समय दान करना आपके लिए लाभकारी होगा।
मौनी अमावस्या पर व्रत और मौन धारण कर सकते हैं। ऐसा करने से मन, वाणी और आत्मा की शुद्धि होती है। इसके अलावा मौनी अमावस्या के दिन गंगा नदी में स्नान करने से पाप खत्म होते हैं। वहीं, इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति आती है। ऐसा माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। 29 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 5:25 बजे से 6:19 बजे तक रहेगा। यदि इस समय में स्नान संभव न हो, तो सूर्योदय से सूर्यास्त तक किसी भी समय स्नान और दान किया जा सकता है।
मौनी अमावस्या पर दान करना अत्यंत पुण्यदायी होता है। इस दिन काले तिल का दान करने से कुंडली में ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है। जरूरतमंदों को कंबल या गर्म कपड़े दान करना अत्यधिक फलदायी होता है। अन्न और जल का दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। भूमि का दान करना बड़े पुण्य का कार्य माना गया है। घी का दान करने से घर में सुख-शांति और संपत्ति में वृद्धि होती है। चांदी का दान संतान की उन्नति और उनके अच्छे भविष्य के लिए शुभ है।
1. ॐ पितृ देवतायै नमः
2. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृः प्रचोदयात्
यदि आप किसी वजह से प्रयागराज में महाकुंभ नहीं जा पा रहें हैं तो, इसके लिए आप घर बैठे ही बिना किसी परेशानी के मौनी अमावस्या के अमृत स्नान का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले सुबह स्नान करते समय नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाएं। इसके बाद इस पवित्र पानी से स्नान करते हुए नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करें:-
‘त्रिवेणी माधवं सोमं भरद्वाजं च वासुकिम्।
वन्दे अक्षय वटं शेषं प्रयागं तीर्थनायकम।।’
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद अपने दाहिने हाथ में दुर्वा की 16 गांठें लेकर भगवान का ध्यान करें। इस दौरान मौन रहकर अपने मन को भगवान के चरणों में समर्पित करें।
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