हर साल मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मत्स्य द्वादशी मनाई जाती है, आज, 12 दिसंबर 2024 को, मत्स्य द्वादशी का पर्व मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान विष्णु के पहले अवतार, मत्स्य अवतार, को समर्पित है।
नई दिल्ली: हर साल मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मत्स्य द्वादशी मनाई जाती है, आज, 12 दिसंबर 2024 को, मत्स्य द्वादशी का पर्व मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान विष्णु के पहले अवतार, मत्स्य अवतार, को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु ने दैत्य हयग्रीव का वध करके वेदों को पुनः स्थापित किया था। इसे जल, जीवन और धर्म की रक्षा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इस दिन नदी या जलाशय में मछलियों को आटे की गोलियां खिलाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
– ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 5:15 से 6:10 तक।
– अभिजीत मुहूर्त: पूर्वाह्न 11:54 से दोपहर 12:38 तक।
– सांध्यकाल: सायं 5:43 से 7:05 तक।
1. प्रातःकाल स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें।
2. चौकी पर पीले कपड़े बिछाकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
3. भगवान को पीले फूल, तुलसी के पत्ते, दीपक और भोग अर्पित करें।
4. भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
5. मत्स्य अवतार की कथा सुनें या पढ़ें।
6. अंत में आरती करें और जरूरतमंदों को दान दें।
– “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
– “ऊँ मत्स्यरूपाय नमः।
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