नई दिल्ली: सनातन धर्म में पूजा का विशेष महत्त्व है। अगर आप एक स्त्री है और अकेले पूजा करती हैं तो आपको पता होना चाहिए कि व्रत या किसी अन्य पूजा में पति को अपने साथ रखना कितना ज़रूरी है। ऐसा माना जाता है कि अगर पति-पत्नी एक साथ पूजा करते हैं तो शादी का बंधन मजबूत होता है। इस तरह दोनों में प्यार बढ़ता है और उनका रिश्ता और भी मजबूत होता जाता है। धीरे-धीरे उनके बीच तालमेल बढ़ता है। ऐसे में आपको पूरी लगन व श्रद्धा भाव के साथ खुद को धार्मिक पूजा-पाठ में लगाना चाहिए। इस प्रकार घर में कभी शोक का वास नहीं होता और परिवार सदैव धन-धान्य से भरा रहता है।
ऐसा माना जाता है कि पत्नी पति की शक्ति मानी जाती है और इसीलिए शक्ति नाम सबसे पहले लिया जाता है। आपने सीता-राम या राधा-कृष्ण पर भी ध्यान दिया होगा। आज भी पत्नियां घर की आर्थिक प्रगति में अपने पति का सहयोग करती हैं। इसलिए एक साथ पूजा करनी चाहिए। इस तरह पूजा का फल दोगुना होता है। जब पति-पत्नी एक साथ पूजा करते हैं तो परिवार में पूर्ण उन्नति होती है। इस तरह पूजा करने से शीघ्र लाभ मिलता है। आपको ध्यान देना चाहिए कि पूजा करते समय पति-पत्नी को घी का दीपक जलाना आवश्यक है। ऐसा करना शुभ माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार विवाह के समय पति-पत्नी जो वचन लेते हैं। इसमें यह भी वचन दिया गया है कि पति-पत्नी एक साथ व्रती होकर धर्मस्थल जाएंगे और दोनों एक साथ पूजा करेंगे। ऐसी मान्यता है कि अगर पति-पत्नी अकेले पूजा करते हैं तो उन्हें पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती है। यदि पति-पत्नी एक साथ पूजा करें तो उनकी पूजा पूर्ण रूप से स्वीकार होती है और भगवान उनसे प्रसन्न होते हैं। एक साथ पूजा करेंगे तो सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होंगी।
पूजा के नियम के बारे में तो हमने बता दिया, अब आपको पूजा व हवन की विधि भी बता देते हैं। सबसे पहले वह स्त्री जो पत्नी हो वह अपने सीधे हाथ में थोड़ा सा जल ले और उसमे थोड़े से साबुत चावल ले ले। अब इसमें साबुत सुपाड़ी ले और कुछ दक्षिणा यानि कुछ पैसे उसमें रखे। इसके बाद पत्नी जिस भगवान की पूजा, व्रत, हवन, दान आदि कर रही है उनका नाम ले और कहे कि मैं [अपना नाम, गोत्र, दिन, महिना, साल] पूजा कर रही हूँ कि इस पूजा/दान का जो भी फल हो वह मेरे साथ मेरे पति [उनका नाम और गोत्र बोले] उनको भी बराबर सिद्ध हो। ऐसा संकल्प करने से स्त्री के पूजा का पुण्य, लाभ उस नारी के पति को भी प्राप्त होगा अन्यथा नहीं
आपको बताते चलें, हिंदू शास्त्रों के अनुसार पत्नी को पूजा आदि के दौरान अपने अपने पति के दाएँ हाथ की तरफ़ बैठना चाहिए। ज्योतिषविदों का भी ऐसा मानना है कि इस ओर बैठना शुभ व फलदाई है। साथ ही आपको बता दें, किसी भी प्रकार के यज्ञ, व्रत, दान, स्नान, देवयात्रा, पूजा, हवन व विवाह इत्यादि कर्मों में भी पत्नी का अपने पति के दाएँ हाथ बैठना ही शुभ माना जाता है। ग्रंथों के अनुसार यदि इन सभी बातों को ध्यान में रखकर धार्मिक कार्यों को संपन्न किया जाए तो इसका फल व पुण्य शर्तिया तौर पर मिलता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए इनख़बर किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है.)
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