भय से मुक्ति और धन लाभ के लिए नवरात्रि के सातवें दिन करें ये काम, जानिए माँ कालरात्रि के अवतरण की कहानी

नई दिल्ली: आज नवरात्रि का सातवां दिन है और यह दिन माँ दुर्गा के सातवें रूप माँ कालरात्रि को समर्पित है। यह दिन अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि माँ कालरात्रि को बुराइयों, भय और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति दिलाने वाली देवी माना जाता है। माँ कालरात्रि की पूजा से सभी प्रकार के भय, शत्रु […]

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भय से मुक्ति और धन लाभ के लिए नवरात्रि के सातवें दिन करें ये काम, जानिए  माँ कालरात्रि के अवतरण की कहानी

Shweta Rajput

  • October 9, 2024 3:09 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

नई दिल्ली: आज नवरात्रि का सातवां दिन है और यह दिन माँ दुर्गा के सातवें रूप माँ कालरात्रि को समर्पित है। यह दिन अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि माँ कालरात्रि को बुराइयों, भय और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति दिलाने वाली देवी माना जाता है। माँ कालरात्रि की पूजा से सभी प्रकार के भय, शत्रु और संकट दूर हो जाते हैं।

माँ कालरात्रि का रूप और अवतरण की कथा

माँ कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयानक है, लेकिन उनकी पूजा करने वालों के लिए वे हमेशा शुभ फल देने वाली हैं। उनके शरीर का रंग काला है और उनके बाल बिखरे हुए हैं। वे चार हाथों वाली हैं –एक हाथ में तलवार, दूसरे में कांटा, तीसरे से वरदान देती हैं और चौथे हाथ से अभय देती हैं। उनका वाहन गधा है, जो कठिनाई और विनाश का प्रतीक है, लेकिन उनकी शक्ति से साधक हर बाधा को पार कर सकता है।

अवतरण की कहानी

देवी दुर्गा ने राक्षस शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज का अंत करने के लिए माँ कालरात्रि का अवतार लिया। रक्तबीज ऐसा राक्षस था कि उसके खून की हर बूंद से एक नया राक्षस उत्पन्न हो जाता था। इसे समाप्त करने के लिए माँ कालरात्रि ने अपना रूप इतना विकराल बनाया कि रक्तबीज का खून धरती पर गिरने से पहले ही वे उसे पी गईं। इस प्रकार, उन्होंने इस असुर का नाश किया और पृथ्वी पर लोगों को भय से मुक्ति दिलाई।

सातवें दिन की पूजा विधि

1. सुबह स्नान और शुद्ध वस्त्र धारण करें।

2. माँ कालरात्रि की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं।

3. गुड़ और काले तिल का भोग माँ को अर्पित करें।

4. माँ का ध्यान करते हुए “ॐ कालरात्र्यै नमः” मंत्र का जाप करें।

5. दिनभर संयमित और सात्विक आहार ग्रहण करें।

भय से मुक्ति के लिए साधारण उपाय

1. हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी को बल और साहस का प्रतीक माना जाता है, और माँ कालरात्रि की पूजा के साथ हनुमान चालीसा का पाठ व्यक्ति के भीतर से डर को समाप्त करता है।

2. काले तिल का दान करें। यह दान विशेष रूप से नकारात्मक शक्तियों से बचाव के लिए अत्यधिक प्रभावी माना गया है।

3. भैरव पूजा करें। माँ कालरात्रि के साथ भैरव की पूजा करने से अज्ञात भय से मुक्ति मिलती है और जीवन में नकारात्मकता का अंत होता है।

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