महाभारत एक ऐसा महाकाव्य है जिसमें हर किरदार की अपनी अलग और दिलचस्प कहानी है। इसमें सिर्फ पुरुष योद्धाओं का ही नहीं, बल्कि महिलाओं
नई दिल्ली: महाभारत एक ऐसा महाकाव्य है जिसमें हर किरदार की अपनी अलग और दिलचस्प कहानी है। इसमें सिर्फ पुरुष योद्धाओं का ही नहीं, बल्कि महिलाओं का भी अहम योगदान था। ये महिलाएं भले ही युद्ध में शस्त्र नहीं उठाती थीं, लेकिन उनकी ताकत और फैसले महाभारत के घटनाक्रम को प्रभावित करते थे। आइए जानते हैं महाभारत की उन 5 शक्तिशाली महिलाओं के बारे में, जिनकी बात को बड़े-बड़े योद्धा भी नहीं टाल सके।
गांधारी, धृतराष्ट्र की पत्नी और कौरवों की मां थीं। जब गांधारी ने अपने पति के सम्मान में हमेशा के लिए अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी, तो उनका यह त्याग और समर्पण सभी के लिए प्रेरणा बन गया। महाभारत युद्ध के दौरान जब गांधारी ने अपने बेटे दुर्योधन को नग्न अवस्था में आने का आदेश दिया, तो वह तुरंत मान गया। गांधारी अपने बेटे के शरीर को अजेय बनाना चाहती थीं, ताकि वह युद्ध में बच सके। गांधारी की बात को कोई भी नजरअंदाज नहीं करता था।
द्रौपदी वह महिला थीं जिनके अपमान ने महाभारत के युद्ध की नींव रखी। उनके पांच पति थे, लेकिन अर्जुन, भीम और युधिष्ठिर द्रौपदी की बात कभी नहीं टालते थे। जब द्रौपदी ने दुशासन के अपमान का बदला लेने के लिए भीम से उसकी हत्या की मांग की, तो भीम ने उसकी बात मानी और दुशासन को मारकर उसके खून से द्रौपदी के केश धोए। द्रौपदी का प्रभाव ऐसा था कि बड़े-बड़े योद्धा उनके सामने झुकते थे।
रानी सत्यवती का महाभारत में बड़ा योगदान था। उनके कहने पर ही महर्षि व्यास ने अपनी विद्या का प्रयोग किया और पांडु, धृतराष्ट्र और विदुर का जन्म हुआ। सत्यवती की बात को भीष्म पितामह जैसे योद्धा भी नहीं टालते थे। वह भीष्म की सौतेली मां थीं, लेकिन भीष्म ने हमेशा उनकी आज्ञा का पालन किया। सत्यवती के व्यक्तित्व और निर्णयों का महाभारत की कथा पर गहरा असर पड़ा।
कुंती, पांडवों की मां थीं और उनकी हर बात का पालन पांडव करते थे। एक बार अर्जुन ने स्वंयवर जीतकर द्रौपदी से विवाह किया और जब वह घर आए तो कुंती ने बिना पूरी बात सुने अर्जुन से लाई हुई चीज को सभी भाइयों में बांटने के लिए कह दिया। जब उन्हें पता चला कि अर्जुन ने द्रौपदी को जीता है, तो कुंती ने क्रोध में आकर कहा कि सभी पांडवों को द्रौपदी से शादी करनी चाहिए। अंततः पांडवों ने अपनी मां की बात मानकर द्रौपदी से विवाह कर लिया।
सुभद्रा, श्रीकृष्ण की बहन और अर्जुन की प्रेमिका थीं। सुभद्रा ने अर्जुन से विवाह करने की ठान ली थी, जबकि अर्जुन पहले से द्रौपदी से विवाहित थे। जब अर्जुन ने पहले मना किया, तो सुभद्रा ने अपने भाई श्रीकृष्ण से अर्जुन से विवाह करने का आग्रह किया। श्रीकृष्ण अपनी बहन की बात को टाल नहीं पाए और उन्होंने अर्जुन और सुभद्रा का विवाह करवा दिया। सुभद्रा और अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु थे, जिनका भी महाभारत के युद्ध में बड़ा योगदान था।
महाभारत की ये महिलाएं सिर्फ ताकतवर ही नहीं, बल्कि अपनी सूझ-बूझ और निर्णय लेने की क्षमता के कारण भी महत्वपूर्ण थीं। उनके फैसले और बातों का पालन महाभारत के युद्ध और उसके परिणाम पर गहरा असर डालता था।
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