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ये थी सूर्य देव की दूसरी पत्नी, जिनसे हुआ था इस तेजस्वी पुत्र का जन्म, जानिए क्या है रहस्य?

ये थी सूर्य देव की दूसरी पत्नी, जिनसे हुआ था इस तेजस्वी पुत्र का जन्म, जानिए क्या है रहस्य?

नई दिल्ली: पुराणों में सूर्य देव की शक्तियों और उनके परिवार से जुड़े कई रहस्य छिपे हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि सूर्य देव की दूसरी पत्नी का नाम छाया था, जो एक रहस्यमयी और विशेष व्यक्तित्व वाली देवी थीं। छाया, सूर्य देव की पहली पत्नी संज्ञा के अवतार के रूप में जानी जाती हैं। संज्ञा देवी, सूर्य के तेज को सहन नहीं कर पाईं और अपनी छाया को अपने स्थान पर छोड़कर चली गईं। यही छाया सूर्य देव की दूसरी पत्नी बनीं।

सूर्य देव की दूसरी पत्नी कौन थीं?

सूर्य देव की पहली पत्नी का नाम संज्ञा था। संज्ञा, जो स्वयं एक देवी थीं, सूर्य देव के अत्यधिक तेज के कारण लंबे समय तक उनके साथ नहीं रह सकीं। उन्होंने अपनी छाया से सूर्य देव के पास अपनी प्रतिकृति छोड़ दी और खुद तपस्या के लिए चली गईं। यही छाया, सूर्य देव की दूसरी पत्नी मानी जाती है। संज्ञा की छाया को “छाया” नाम से जाना जाता है। छाया देवी भी संज्ञा के समान दिखती थीं और उन्होंने सूर्य देव की सेवा की। इस कारण सूर्य देव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया और उनसे कई संतानें प्राप्त कीं।

छाया से जन्मे तेजस्वी पुत्र कौन थे?

छाया देवी से सूर्य देव को कई संतानें प्राप्त हुईं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध पुत्र का नाम शनिदेव है। शनिदेव को न्याय और कर्म का देवता माना जाता है। वे एक ऐसे देवता हैं जो हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनिदेव के जन्म के साथ ही उन्हें सूर्य देव का तेज और छाया का गहन धैर्य प्राप्त हुआ, जिससे उनका व्यक्तित्व शक्तिशाली और गंभीर बना।

शनिदेव का जन्म और उनके व्यक्तित्व का रहस्य

कहते हैं कि शनिदेव का जन्म ऐसे समय में हुआ था जब छाया देवी सूर्य देव के तप से प्रभावित थीं। उनके जन्म के समय ही उनकी माता का मन और शरीर तप में लीन थे, जिसके कारण शनिदेव को काले रंग की देह प्राप्त हुई। हालांकि, उनका व्यक्तित्व ऐसा है कि वे न्याय के साथ हर व्यक्ति के जीवन में संतुलन बनाए रखने का कार्य करते हैं।

सूर्य और शनिदेव के संबंध में दरार का कारण

एक पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव शनिदेव की काली देह को देखकर नाखुश थे। उन्होंने अपनी पत्नी छाया से इस पर सवाल उठाए। छाया ने सूर्य देव को समझाया कि शनिदेव का रंग उनके तपस्या के प्रभाव के कारण काला हुआ है। फिर भी, शनिदेव को उनके रंग और व्यक्तित्व के कारण सूर्य देव से पूरी तरह से स्नेह नहीं मिल पाया। इस कारण शनिदेव और सूर्य देव के संबंधों में कुछ दूरियां बन गईं।

शनिदेव का प्रभाव और उनकी शक्ति

शनिदेव को ग्रहों में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। ऐसा माना जाता है कि उनकी दृष्टि जब किसी पर पड़ती है तो उसके जीवन में बदलाव आते हैं। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है, जो व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों के आधार पर उसे फल देते हैं। यही कारण है कि हिंदू धर्म में शनिदेव को विशेष रूप से पूजा जाता है और उनकी प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए शनिवार के दिन विशेष पूजा की जाती है।

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