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ऋषि पुत्री को गर्भवती करके छोड़ गया ये राजा,अभागिन स्त्री ने दिया ऐसे पुत्र को जन्म धन्य हो गया पूरा भारतवर्ष

आज एक ऐसे राजा-रानी की प्रेम कहानी के बारे में जानेंगे, जिसने एक दूसरे से बेहद प्रेम किया लेकिन उन्हें फिर भी वियोग झेलना पड़ा। आई जानते हैं कहानी क्या है-

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Shakuntala
  • December 10, 2024 10:03 am Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

Mahabharat: महाभारत काल में कई ऐसे कहानियां है जो हमें न्याय-अन्याय, धर्म-अधर्म का अंतर बताती है। कुछ ऐसी प्रेम कहानियां भी है, जिसमें त्याग और वियोग दोनों की झलक दिखती है। आज एक ऐसे राजा-रानी की प्रेम कहानी के बारे में जानेंगे, जिसने एक दूसरे से बेहद प्रेम किया लेकिन उन्हें फिर भी वियोग झेलना पड़ा। आई जानते हैं कहानी क्या है-

जानिए कथा

पौराणिक कथाओं के मुताबिक चंद्रवंशी राजा दुष्यंत को ऋषि विश्वामित्र और अप्सरा मेनका की पुत्री शकुंतला से प्रेम हो गया। अप्सरा मेनका ने शकुंतला को जन्म देकर छोड़ दिया था। शकुंतला का पालन-पोषण ऋषि कण्व ने किया। वो बड़ी होने के बाद भी जंगल में ऋषि कण्व के आश्रम में रहती थीं। एक बार राजा दुष्यंत शिकार करने ऋषि कण्व की कुटिया के तरफ पहुंचे।

विवाह कर बनाये संबंध

राजा दुष्यंत वहां शकुंतला को देखकर मोहित हो गए। ऋषि कण्व आश्रम में नहीं थे तो शकुंतला ने राजा दुष्यंत का आदर-सत्कार किया। दुष्यंत ने मौका देखकर शकुंतला के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। शकुंतला भी दुष्यंत को पसंद करती थीं। उन्हों विवाह का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। दोनों ने ऋषि कण्व की अनुपस्थिति में गन्धर्व विवाह किया और संबंध बनाए। ऋषि कण्व पिता तुल्य ने थे तो बिना उनकी अनुमति के वो शकुंतला को लेकर नहीं जा सकते थे तो अकेले ही महल लौट आए।

भरत का जन्म

ऋषि कण्व जब आश्रम लौटे थे शकुंतला ने उन्हें पूरी बात बताई। ऋषि से अनुमति लेकर वो राजा की महल के तरफ चली। दुष्यंत ने उन्हें पहचान के तौर पर अंगूठी दी थी लेकिन वो एक नदी में गिर गई। इधर ऋषि दुर्वासा द्वारा मिले श्राप के कारण राजा दुष्यंत शकुंतला को भूल गए। उन्होंने शकुंतला को नहीं अपनाया। शकुंतला दुखी होकर एक जंगल में कुटी बनाकर रहने लगी। जहां उन्होंने एक महान पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम भरत रखा गया। कहा जाता है कि राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के नाम पर ही इस देश का नाम भारत पड़ा। आगे चलकर भरत एक महान सम्राट बने।

 

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