Mahabharat: हिन्दुओं के प्रमुख काव्य ग्रंथ महाभारत को ‘पंचम वेद’ कहा गया है। महाभारत में एक से बढ़कर एक धुरंधरों का उल्लेख है। साथ ही महाभारत की कई ऐसी कहानियां है, जिसके बारे में हमें पता नहीं है। क्या आपको मालूम है कि द्रौपदी चीरहरण के दौरान जब द्रौणाचार्य, भीष्म जैसे महारथी खामोश थे तो […]
Mahabharat: हिन्दुओं के प्रमुख काव्य ग्रंथ महाभारत को ‘पंचम वेद’ कहा गया है। महाभारत में एक से बढ़कर एक धुरंधरों का उल्लेख है। साथ ही महाभारत की कई ऐसी कहानियां है, जिसके बारे में हमें पता नहीं है। क्या आपको मालूम है कि द्रौपदी चीरहरण के दौरान जब द्रौणाचार्य, भीष्म जैसे महारथी खामोश थे तो एक कौरव था जिसने स्त्री सम्मान के हक़ में आवाज उठाई थी। उसने भरी सभा में सबको आईना दिखाया था। आइये जानते हैं इसके पीछे की कहानी।
विकर्ण नाम के कौरव ने द्रौपदी चीरहरण के समय दुर्योधन और दुशासन के इस घिनौनों कृत्य की निंदा की थी। उन्होंने भरी सभा में इस घटना का विरोध किया था। युधिष्ठिर जुए में द्रौपदी को हार गए तो विकर्ण ने इसका विरोध किया। धृतराष्ट्र, भीष्म, द्रोणाचार्य, कुलगुरु कृपाचार्य जैसे महारथी जब द्रौपदी के चीर हरण के दौरान चुप्पी साध रखी थी तो विकर्ण एकलौते शख्स थे जिन्होंने दुर्योधन व दुशासन की आलोचना की।
महाभारत युद्ध के दौरान दुर्योधन के विधर्मी होने के बाद भी विकर्ण ने भाई का धर्म निभाते हुए कौरवों का साथ दिया। युद्ध के दौरान जब पांडवों का सामना विकर्ण से हुआ तो वो उसके विरुद्ध लड़ना नहीं चाहते थे। रणभूमि में जब भीम और विकर्ण आमने-सामने हुए तो भीम ने उनसे युद्ध करने से इंकार कर दिया। विकर्ण ने भीम को समझाते हुए कहा कि वो जानते हैं कि कौरवों की हार निश्चित है। परन्तु वो अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। द्रौपदी के अपमान को वो न भूले। रणभूमि में वो द्रौपदी के अपमान को याद करके युद्ध लड़े। युद्ध में भीम विजयी हुए। भीम ने विकर्ण का वध कर दिया।
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