October 30, 2024
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ये है देश का सबसे प्राचीन कुबेर मंदिर, दर्शन मात्र से पूरी होगी हर मनोकामना, धनतेरस-दिवाली पर लगती है भीड़

ये है देश का सबसे प्राचीन कुबेर मंदिर, दर्शन मात्र से पूरी होगी हर मनोकामना, धनतेरस-दिवाली पर लगती है भीड़

  • WRITTEN BY: Shweta Rajput
  • LAST UPDATED : October 30, 2024, 5:43 pm IST
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नई दिल्ली: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित कुबेर मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान कुबेर को समर्पित है, जो धन और संपत्ति के देवता माने जाते हैं। कुबेर मंदिर अल्मोड़ा से लगभग 40 किलोमीटर दूर जागेश्वर धाम में स्थित है। जागेश्वर धाम एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जिसमें कई प्राचीन शिव मंदिर भी शामिल हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जागेश्वर धाम में कुबेर का यह मंदिर विशेष महत्व रखता है, जहां श्रद्धालु धन-समृद्धि की कामना लेकर आते हैं।

जागेश्वर धाम का महत्त्व

जागेश्वर धाम का उल्लेख पुराणों और कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। इसे 8वीं से 10वीं शताब्दी में कत्यूरी राजाओं ने बनवाया था, जिससे इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता और भी बढ़ जाती है। यहाँ कुल 125 छोटे-बड़े मंदिर हैं, जिनमें से कुछ का निर्माण काल भी कई शताब्दियों पुराना माना जाता है। कुबेर मंदिर, भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों के साथ यहाँ स्थित है और इसे यहाँ के प्रमुख मंदिरों में गिना जाता है।

कुबेर मंदिर का वास्तु और स्थापत्य

कुबेर मंदिर का वास्तु और स्थापत्य शिल्प अद्वितीय है। इस मंदिर का निर्माण कटे हुए पत्थरों से किया गया है और इसके स्तंभों पर प्राचीन चित्रकारी और नक्काशी की गई है, जो उत्तराखंड की पारंपरिक वास्तुकला का प्रतीक है। कहा जाता है कि मंदिर की यह शैली प्राचीन कत्यूरी शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर के गर्भगृह में कुबेर देवता की मूर्ति स्थापित है, जो श्रद्धालुओं के बीच श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बनी हुई है।

कुबेर मंदिर का धार्मिक महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुबेर देवता के आशीर्वाद से धन-समृद्धि प्राप्त होती है। माना जाता है कि इस मंदिर में जो व्यक्ति सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है, उसके जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती। यहाँ हर साल विशेष पूजाएं और धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं, जिनमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। जागेश्वर धाम में कुबेर मंदिर का दर्शन करना और पूजा करना उत्तराखंड आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक विशेष अनुभव होता है।

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