नई दिल्ली: महाभारत के महान योद्धाओं और घटनाओं में एक ऐसा पात्र है, जिसका नाम शिशुपाल है। शिशुपाल का जन्म एक अद्भुत और विचित्र रूप में हुआ था। वह तीन आंखों और चार भुजाओं वाला बालक था, जो जन्म के समय ही अपने असामान्य स्वरूप के कारण पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गया। […]
नई दिल्ली: महाभारत के महान योद्धाओं और घटनाओं में एक ऐसा पात्र है, जिसका नाम शिशुपाल है। शिशुपाल का जन्म एक अद्भुत और विचित्र रूप में हुआ था। वह तीन आंखों और चार भुजाओं वाला बालक था, जो जन्म के समय ही अपने असामान्य स्वरूप के कारण पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गया। शिशुपाल का जन्म चेदि राज्य के राजा दमघोष और रानी श्रुतशुभा देवी के घर हुआ था, और उनके इस अद्वितीय स्वरूप से राजा-रानी भी चिंतित हो उठे थे।
शिशुपाल के जन्म के समय एक आकाशवाणी हुई थी, कि जैसे ही इस बालक को कोई विशेष व्यक्ति गोद में उठाएगा, उसकी तीसरी आंख और अतिरिक्त भुजाओं का परित्याग हो जाएगा। इस भविष्यवाणी ने रानी श्रुतशुभा को चिंतित कर दिया, क्योंकि उन्हें इस बात की शंका थी कि उनके पुत्र का जीवन छोटा हो सकता है। उसी समय भगवान श्रीकृष्ण उनके महल में आए और जैसे ही उन्होंने शिशुपाल को अपनी गोद में लिया, शिशुपाल का असामान्य स्वरूप सामान्य हो गया। हालांकि, आकाशवाणी ने यह भी बताया कि शिशुपाल का वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होगा, और यह दिन तभी आएगा जब उसकी 100 अपराधों की सीमा पूरी हो जाएगी। श्रीकृष्ण ने अपनी बुआ श्रुतशुभा को आश्वस्त किया और वचन दिया कि वे शिशुपाल के 100 अपराधों को माफ करेंगे। श्रीकृष्ण ने शिशुपाल के जीवन को तब तक नहीं छूने का प्रण किया, जब तक वह सीमा का उल्लंघन नहीं करेगा।
शिशुपाल श्रीकृष्ण के प्रति अपनी घृणा को व्यक्त करने से कभी भी पीछे नहीं रहा। शिशुपाल ने कई अवसरों पर भगवान श्रीकृष्ण का अपमान किया, लेकिन श्रीकृष्ण ने अपने वचन के अनुसार, शिशुपाल के 100 अपराधों को माफ किया। महाभारत के राजसूय यज्ञ में शिशुपाल ने श्रीकृष्ण का अपमान किया, और यही वह अंतिम बिंदु था जहाँ श्रीकृष्ण ने अपना वचन समाप्त किया और सुदर्शन चक्र का प्रयोग कर शिशुपाल का वध किया।
जैसे-जैसे शिशुपाल बड़ा हुआ, उसका अहंकारी होता गया। उसने कई बार दुराचार किए, देवताओं और अन्य महत्वपूर्ण लोगों का अपमान किया। विशेष रूप से उसने भगवान कृष्ण और युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के दौरान कृष्ण का अपमान किया। शिशुपाल का चरित्र महाभारत में धैर्य और क्षमा का उदाहरण है। कृष्ण ने अपने वचन का पालन किया, और एक सौ अपराध माफ किए। यह घटना दर्शाती है कि सहनशीलता की भी एक सीमा होती है, और जब वह पार हो जाती है, तब न्याय का पालन आवश्यक हो जाता है। शिशुपाल की कहानी से महाभारत हमें सिखाता है कि अंहकार और दूसरों का अनादर किसी के पतन का कारण बन सकता है।
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