अध्यात्म

मकर संक्रांति पर इस तरह करें सूर्य-शनि देव को प्रसन्न, 9 साल बाद बन रहा ये अद्भुत संयोग

नई दिल्ली: मकर संक्रांति के पर्व को बड़े ही उत्साह के साथ पूरे देश में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति पर पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है, ऐसे में कुछ विशेष काम जरुर करें जिससे सूर्य-शनि देव प्रसन्न होते है और आर्थिक लाभ मिलते हैं। आइए जानते है वो कौन से काम है जिससे सूर्य-शनि देव होते है प्रसन्न?

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति पर्व का बहुत महत्व है। जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में आते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। हर साल यह दिन 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस बार ये माघ कृष्ण चतुर्थी में पुनर्वसु व पुष्य नक्षत्र में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। सूर्य देव 14 जनवरी 2025 को 8:54 मिनट पर अपने पुत्र शनि की स्वामित्व वाली मकर राशि में आने वाले हैं। शास्त्रों के मुताबिक जब सूर्य धनु राशि की यात्रा को समाप्त करते हुए मकर राशि में प्रवेश करते हैं। तब मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन को देवता का दिन कहा जाता है।

पुष्य नक्षत्र और मकर संक्रांति

इस वर्ष मकर संक्रांति पर खास तरह के शुभ संयोग बन रहे हैं। शुभ संयोग होने से मकर संक्रांति पर दान, स्नान और जप करने का महत्व माना जाता है। मकर संक्रांति पर इस साल पुष्य नक्षत्र होगा। 14 जनवरी को सुबह 10:17 से इस पुष्य नक्षत्र की शुरुआत होगी और 15 जनवरी को सुबह 10.28 पर इसकी समाप्ति होगी। शनि देव को पुष्य नक्षत्र का अधिपति माना जाता है। वहीं मकर संक्रांति भी शनि देव को समर्पित है। मकर संक्रांति पर खरमास भी समाप्त हो रहे हैं ऐसे में पुष्य नक्षत्र के दिन खरीदारी, मांगलिक कार्य और निवेश के लिए ये दिन बहुत अच्छा रहेगा।

मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति के दिन गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान और दान करना चाहिए, इससे व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करें ये बहुत फलदायी माना जाता है। सूर्योदय के बाद खिचड़ी आदि बनाकर तिल के गुड़वाले लडडू प्रथम सूर्यनारायण को अर्पित करना चाहिए बाद में उसे दाना करना चाहिए। मकर संक्रांति के दिन तिल-गुड़ और खिचड़ी खाना शुभ होता है। देश के कुछ राज्यों में यह भी माना जाता है कि चावल, दाल और खिचड़ी का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
आपको अपने नहाने के जल में तिल डालना चाहिए। ओम नमो भगवते सूर्याय नमः या ओम सूर्याय नमः मंत्र का जाप करें।

पिता-पुत्र से संबंधित है मकर संक्रांति

मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश कर एक महीने निवास करते हैं। यह पर्व पिता व पुत्र की आपसी मतभेद को दूर करता है तथा अच्छे संबंध स्थापित करने में भी मदद करता है। सूर्य के मकर राशि में आने पर शनि से संबंधित वस्तुओं के दान या सेवन करने से सूर्य के साथ शनिदेव की भी कृपा प्राप्त होती है।

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Shweta Rajput

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