नई दिल्ली: नवरात्रि के बारे से वैसे तो सभी लोग जानते हैं कि यह 9 दिन मां दुर्गा को समर्पित होते हैं। परंतु बहुत कम लोगों को इस बात की जनकारी होगी कि माता के नवरात्रि की शुरुआत आखिर कैसे हुई थी। बता दें कि नवरात्रि साल में दो बार आते हैं। पहला नवरात्रि चैत्र […]
नई दिल्ली: नवरात्रि के बारे से वैसे तो सभी लोग जानते हैं कि यह 9 दिन मां दुर्गा को समर्पित होते हैं। परंतु बहुत कम लोगों को इस बात की जनकारी होगी कि माता के नवरात्रि की शुरुआत आखिर कैसे हुई थी। बता दें कि नवरात्रि साल में दो बार आते हैं। पहला नवरात्रि चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है और दूसरा नवरात्रि शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा 2 बार गुप्त नवरात्रि, के दौरान भक्त माता की आराधना करते हैं। आइए जानते हैं कि माता के इन 9 दिनों के पावन पर्व की शुरुआत किसने की थी और क्या है इसके पीछे का रहस्य?
मां दुर्गा स्वंय ही आदि शक्ति स्वरूपा हैं। नवरात्रि के दौरान सभी भक्त माता की अराधना अपनी आध्यात्मिक शक्ति और सुख- समृद्धि की कामना को पूरा करने के लिए करते हैं। इस दौरान सभी भक्त माता के नवरात्रि के पावन उपवास रखते हैं और पूरे विधि-विधान से माता की पूजा करते हैं। बता दें कि नवरात्रि की शुरुआतस जिस राजा के द्वारा हुई थी, उन्होंने भी माता से अपनी विजय की और आध्यात्मिक बल की कामना की थी। इस बात का साफ उल्लेख श्री वाल्मिकि रामायण में मिलता है। प्रभु राम ने माता दुर्गा की किष्किंधा के पास ऋष्यमूक पर्वत पर लंका की चढ़ाई करने से पहले की थी। भगवान राम को देवी दुर्गा के स्वरूप, चंडी देवी की पूजा करने की सलाह स्वंय ब्रह्मा जी ने दी थी। इसके बाद उनकी आज्ञा का पालन करते हुए श्री राम ने प्रतिप्रदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मां दुर्गा की उपासना और पाठ किया था।
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राम जी को भगवान बह्मा ने चंडी पूजा-पाठ के साथ ही यह भी बताया कि आपकी पूजा तभी सफल होगी और माता आपकी प्रार्थना तभी स्वीकार करेंगी जब आप चंडी पूजा और हवन के बाद 108 नील कमल भी अर्पित करेंगे। परंतु यह नील कमल बहुत ही दुर्लभ होते हैं। इसके बाद अपनी सेना की मदद से राम जी ने ये 108 नील कमल ढूंढ लिए। परंतु राम चंडी देवी की पूजा कर रहे हैं, जब रावण को यह पता चला तो उसने अपनी मायावी शक्ति से एक नील कमल गायब कर दिया। भगवान राम ने चंडी पूजा के अंत में जब वे नील कमल चढ़ाए तो उनमें एक कमल कम निकला। यह देखकर भगवान राम चिंतित हो गए। इसके बाद भगवान राम ने कमल की जगह अपनी एक आंख माता चंडी पर अर्पित करने का फैसला लिया। जैसे ही उन्होंने अपनी आंख अर्पित करने के लिए तीर उठाया तभी माता चंडी प्रकट हुईं और माता चंडी उनकी भक्ति से प्रसन्न हुईं और उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया।
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