नई दिल्ली: वास्तु और ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के ग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। कुछ ग्रह अशुभ स्थिति में होने पर व्यक्ति के जीवन में आर्थिक संकट, स्वास्थ समस्याएं, और अन्य दुष्प्रभाव ला सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार, जब कुछ विशेष ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं, तो व्यक्ति को […]
नई दिल्ली: वास्तु और ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के ग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। कुछ ग्रह अशुभ स्थिति में होने पर व्यक्ति के जीवन में आर्थिक संकट, स्वास्थ समस्याएं, और अन्य दुष्प्रभाव ला सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार, जब कुछ विशेष ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं, तो व्यक्ति को अपनी संपत्ति, जैसे गाड़ी-घोड़ा, बेचने की स्थिति में आना पड़ सकता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब व्यक्ति के कुंडली में इन ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव प्रबल होता है। भारतीय ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन पर अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। चलिए जानते हैं ऐसे ग्रहों के बारे में जो अशुभ होने पर इस तरह की स्थिति उत्पन्न कर सकते हैं।
शनि ग्रह को कुंडली में विशेष महत्व प्राप्त है। जब शनि अशुभ स्थिति में होता है, तो यह व्यक्ति के जीवन में तमाम बाधाएं खड़ी कर सकता है। शनि की साढ़े साती और ढैय्या का समय विशेष रूप से कठिन माना जाता है। इस समय में व्यक्ति को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और कई बार उसे अपनी गाड़ी, घोड़ा या अन्य संपत्तियां बेचनी पड़ती हैं। शनि को प्रसन्न करने के लिए सावन में पूजा करना लाभदायक होता है।
मंगल ग्रह का भी कुंडली में महत्वपूर्ण स्थान है। यह ग्रह ऊर्जा और साहस का प्रतीक होता है, लेकिन अशुभ होने पर यह दुर्घटनाओं और रक्त संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है। मंगल की महादशा या अंतरदशा में कई बार व्यक्ति को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता है, जिससे उसे अपनी संपत्तियां बेचनी पड़ सकती हैं।
राहु और केतु को छाया ग्रह कहा जाता है, और इनका प्रभाव भी जीवन पर गहरा होता है। ये ग्रह जब अशुभ होते हैं तो व्यक्ति के जीवन में भ्रम, धोखा, और अनजानी समस्याएं लेकर आते हैं। राहु-केतु के अशुभ प्रभाव के कारण व्यक्ति को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उसे अपनी गाड़ी, घोड़ा या अन्य महंगी वस्त्र बेचनी पड़ सकती हैं।
अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताए गए हैं। इनमें रत्न धारण करना, विशेष पूजा-अर्चना करना, और दान करना शामिल है। शनि के लिए नीलम रत्न, मंगल के लिए मूंगा और राहु-केतु के लिए गोमेद धारण करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, भगवान शिव की पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ भी लाभकारी माना जाता है। ग्रहों का अशुभ प्रभाव जीवन में कठिनाइयां ला सकता है, लेकिन सही उपायों और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से इन कठिनाइयों को कम किया जा सकता है। कुंडली का सही विश्लेषण और ज्योतिषीय परामर्श से व्यक्ति अपने जीवन में सुख-शांति प्राप्त कर सकता है।
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