कलियुग की शुरुआत राजा परीक्षित की मृत्यु के बाद मानी जाती है। कहा जाता है कि कलियुग को शुरू हुए अभी 5000 साल ही
नई दिल्ली: कलियुग की शुरुआत राजा परीक्षित की मृत्यु के बाद मानी जाती है। कहा जाता है कि कलियुग को शुरू हुए अभी 5000 साल ही हुए हैं, लेकिन इतने कम समय में ही दुनिया में काफी बदलाव देखने को मिल रहे हैं। मनुष्य के स्वभाव और समाज की स्थिति में लगातार गिरावट आ रही है।
पुराणों के अनुसार, जब कलियुग अपने चरम पर होगा, तो कुछ खास लक्षण दिखाई देंगे, जो इस युग के अंत की ओर इशारा करेंगे। आइए, जानते हैं कि वो कौन से 6 लक्षण हैं जो ये संकेत देंगे कि अब कलियुग का अंत निकट है।
1. घटती मानव आयु
भविष्य पुराण के अनुसार, कलियुग के अंत के नजदीक आते-आते मनुष्यों की औसत आयु बेहद घट जाएगी। लोग 20 साल की उम्र में ही मरने लगेंगे। यहां तक कि 5 साल की उम्र में लड़कियां बच्चों को जन्म देने लगेंगी। ये लक्षण मनुष्य की उम्र और सेहत पर भारी असर दिखाएंगे।
2. यज्ञ का गलत उपयोग
पुराणों में कहा गया है कि कलियुग के अंत में लोग ऐसे यज्ञ करने लगेंगे, जिनका उद्देश्य मानव कल्याण नहीं, बल्कि विनाश होगा। इन यज्ञों से ग्रहों और तारों की स्थिति में बदलाव आने लगेगा, और लोग एक-दूसरे की संपत्ति हड़पने के लिए यज्ञों का सहारा लेंगे।
3. पारिवारिक रिश्तों का अंत
जब कलियुग अपने चरम पर होगा, तो पारिवारिक रिश्तों का सम्मान खत्म हो जाएगा। पुत्र अपने पिता को काम पर भेजेगा, बहु अपनी सास से काम करवाएगी। पति और पत्नी अपने-अपने साथी के रहते हुए भी अन्य लोगों को घर में लाएंगे। ये लक्षण पारिवारिक ताने-बाने को तोड़ते हुए दिखाई देंगे।
4. धार्मिकता का पतन
कलियुग के अंत में लोग धार्मिक ग्रंथों का सम्मान करना छोड़ देंगे। वेद, पुराण और शास्त्रों की ओर लोग ध्यान नहीं देंगे और खुद को सबसे बड़ा ज्ञानी मानने लगेंगे। भगवान की पूजा भी समाप्त हो जाएगी और क्रोध, लोभ जैसे अवगुण मनुष्य का प्रमुख स्वभाव बन जाएगा।
5. नदियों का सूखना और मांसाहार का बढ़ना
अधर्म के कारण नदियां सूख जाएंगी और अन्न का उत्पादन बंद हो जाएगा। ऐसे में सभी लोग मांसाहारी हो जाएंगे। गायें दूध देना बंद कर देंगी और धरती से गायों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। इसके बाद लोग बकरियों और भेड़ों का दूध पीकर, उनका मांस खाने लगेंगे।
6. मलेच्छ प्रवृत्तियों का बढ़ना
कलियुग के अंत में मनुष्य क्रूर हो जाएगा। पिता पुत्र की हत्या करेगा और पुत्र अपने पिता की। महिलाएं पतिधर्म का पालन करना छोड़ देंगी और विवाह को पवित्र बंधन नहीं माना जाएगा। लोग बिना किसी विचार के किसी भी कुल-गोत्र में विवाह करने लगेंगे।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है।
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