नई दिल्ली: हमारे घर में मंदिर का एक विशेष महत्व होता है। यह स्थान न केवल पूजा-अर्चना का केंद्र होता है, बल्कि हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार भी करता है। लेकिन कभी-कभी गलती से मंदिर अशुद्ध हो जाता है, जैसे कि धूल जमा होना, किसी का गलत स्पर्श हो जाना, या […]
नई दिल्ली: हमारे घर में मंदिर का एक विशेष महत्व होता है। यह स्थान न केवल पूजा-अर्चना का केंद्र होता है, बल्कि हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार भी करता है। लेकिन कभी-कभी गलती से मंदिर अशुद्ध हो जाता है, जैसे कि धूल जमा होना, किसी का गलत स्पर्श हो जाना, या पूजा के दौरान चीज़ों का व्यवस्थित न रहना। ऐसे में शुद्धिकरण की आवश्यकता होती है ताकि पवित्रता और सकारात्मकता बनी रहे।
गंगा जल को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यदि आपका मंदिर अशुद्ध हो गया है तो सबसे पहले गंगा जल का छिड़काव करें। इससे मंदिर को पवित्र माना जाता है और नकारात्मकता दूर होती है।
मंदिर को नियमित रूप से साफ़ करना ज़रूरी है। अगर धूल या गंदगी जमा हो गई है तो मंदिर की सभी मूर्तियों, दीपक और पूजा की सामग्रियों को साफ़ करें। सफाई करते समय शुद्ध जल का उपयोग करें।
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3. कपूर और धूप जलाना
मंदिर की शुद्धि के लिए कपूर जलाना भी एक प्राचीन विधि है। इसके धुएं से वातावरण पवित्र होता है। इसके साथ-साथ धूपबत्ती का उपयोग भी किया जा सकता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मकता को बढ़ाता है।
4. मंत्रों का उच्चारण
शुद्धिकरण के दौरान मंत्रों का उच्चारण विशेष रूप से प्रभावी होता है। “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ गण गणपतये नमः” जैसे मंत्रों का जप मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा फैलाता है। आप शुद्धिकरण के समय इन मंत्रों का उच्चारण कर सकते हैं।
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5. पंचामृत स्नान
अगर मंदिर की मूर्तियाँ विशेष रूप से अशुद्ध हो गई हैं, तो आप मूर्तियों का पंचामृत स्नान करवा सकते हैं। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और शुद्ध जल का उपयोग होता है। यह शुद्धिकरण की एक प्रभावी और पारंपरिक विधि है।
मंदिर में बासी फूल या पुराने पूजा सामग्री को नहीं रखना चाहिए। प्रतिदिन ताजे फूलों और नई पूजा सामग्री का प्रयोग करें ताकि मंदिर में ताजगी और पवित्रता बनी रहे।
मंदिर को शुद्ध करने के बाद कुछ समय के लिए उसमें दीपक जलाकर रखें। इसके साथ ही शांति से ध्यान करें और ईश्वर का ध्यान करें। इससे मंदिर का माहौल शुद्ध और शांतिपूर्ण बनेगा।
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