राधा-कृष्ण के प्रेम की दर्दनाक कहानी, जानें कैसे एक श्राप ने उन्हें हमेशा के लिए किया अलग

नई दिल्ली: सनातन धर्म में जब भी प्रेम की बात आती है तो भगवान श्री कृष्ण और राधा का नाम सबसे पहले उदाहरण के तौर पर लिया जाता है. अक्सर आपने देखा होगा कि मंदिर में केवल राधा और कृष्ण की ही पूजा की जाती है. कृष्ण के बगल में हमेशा राधा जी की मूर्ति […]

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राधा-कृष्ण के प्रेम की दर्दनाक कहानी, जानें कैसे एक श्राप ने उन्हें हमेशा के लिए किया अलग

Aprajita Anand

  • September 7, 2024 9:18 am Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: सनातन धर्म में जब भी प्रेम की बात आती है तो भगवान श्री कृष्ण और राधा का नाम सबसे पहले उदाहरण के तौर पर लिया जाता है. अक्सर आपने देखा होगा कि मंदिर में केवल राधा और कृष्ण की ही पूजा की जाती है. कृष्ण के बगल में हमेशा राधा जी की मूर्ति होती है. ऐसा माना जाता है कि दोनों के बीच आध्यात्मिक प्रेम था. इसे कोई नहीं समझा सकता, क्योंकि इनके प्यार को शब्दों में बयां करना बहुत मुश्किल है. बिना शर्त प्यार करने के बावजूद भी दोनों लोग शादी क्यों नहीं कर पाए.

अधूरी रही प्रेम कहानी

आप कई मान्यताओं और बुजुर्गों से सुनते आए होंगे कि एक श्राप के कारण दोनों का मिलन धरती पर संभव नहीं हो सका. अधिकांश धार्मिक ग्रंथों में इस बात की चर्चा की गई है कि राधा को श्राप मिला था जिसके कारण उन्हें अपने प्यार यानी कृष्ण को पति के रूप में नहीं मिला. कहते हैं कि प्रेम जितना चंचल और पवित्र होता है, उसकी राह उतनी ही जटिल हो जाती है. भले ही भगवान श्री कृष्ण और राधा का नाम एक साथ लिया जाता है, लेकिन उनकी प्रेम कहानी कभी पूरी नहीं हो सकी, जबकि वे स्वयं जगत के पालनकर्ता हैं. इसके बावजूद भी वह अपने प्रिय को धरती पर नहीं पा सके.

परम मित्र ने दिया था श्राप

यह श्राप किसी और ने नहीं बल्कि भगवान श्री कृष्ण के परम मित्र सुदामा ने दिया था. दोनों की दोस्ती आज भी सबसे गहरी मानी जाती है, लेकिन यही राधा और कृष्ण के अलगाव का कारण बनी। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार कृष्ण विरजा नामक गोपिका के साथ गोलोक भ्रमण पर थे. इसी बीच राधा वहां पहुंच गईं और उन दोनों को वहां एक साथ देखकर वह बहुत क्रोधित हो गईं और क्रोध में आकर उन्होंने दोनों का अपमान किया और विरजा को पृथ्वी पर एक ब्राह्मण के रूप में दर्दनाक जीवन जीने का श्राप दे दिया. यह सब कृष्ण और सुदामा देख रहे थे और उन्होंने राधा को समझाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी और सुदामा को असुर कुल में जन्म लेने का श्राप दे दिया, जिसे सुदामा बर्दाश्त नहीं कर सके और बदले में उन्होंने भी राधा को कृष्ण से अलग होने का श्राप दे दिया. प्यार में होने के बावजूद भी इनका प्यार इनसे दूर हो जाएगा. इसलिए वे एक नहीं हो सके. कई जगहों पर लिखा है कि कृष्ण और राधा एक ही थे, दोनों में कोई अंतर नहीं था. इसलिए हर मंदिर में दोनों की एक साथ पूजा की जाती है. दोनों की कहानी अधूरी होते हुए भी पूरी है.

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