नई दिल्ली: नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो चुका है और खत्म भी होने वाला है देखते ही देखते आज शरद नवरात्रि का पांचवां दिन आ गया है. जिसमें मां दुर्गा के मां स्कंदमाता रूप की पूजा होती है. हर रूप की तरह ही मां स्कंदमाता की भी एक अलग कथा है और ऐसा माना जाता है कि मां स्कंदमाता हमें हमारी मां जैसा स्नेह और प्यार देती है. हालांकि मां का हर रूप ही हमारे लिए मां का स्थान रखता है. मगर स्कंदमाता की कहानी ही बच्चों से जुड़ी है तो आइए जानते हैं, मां की रोचक कहानी एवं मंत्र जाप.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, तारकासुर नामक एक राक्षस था, जिसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र के हाथों ही संभव थी.जब संसार में तरकासुर का अनाचार बढ़ने लगा तो सभी देवी, देवता सहित मनुष्य , गंधर्व तथा ऋषि-मुनि आदि चिंतित हो उठे. और सीधे मां पार्वती के पास पहुंचे और तरकासुर के अनाचारों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की. उसी समय माता पार्वती ने अपने तेज से 6 मुख वाले बालक स्कंद कुमार का जन्म हुआ. बालक स्कंद का दूसरा नाम कार्तिकेय भी है माता पार्वती द्वारा बालक स्कंद को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने हेतु मां ने स्कन्द माता का रूप धारण किया. स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण लेने के बाद बालक स्कंद ने तारकासुर का वध किया. तभी से मां स्कंदमाता रूप की उत्पत्ति हुई और नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाने लगी.
संतान प्राप्ति के लिए मां स्कंदमाता की पूजा आराधना करना लाभकारी होता है. ऐसा माना जाता है, कि मां की पूजा करने से निसंतान को भी संतान प्राप्ति का सौभाग्य प्राप्त हो जाता है. साथ ही स्कंदमाता की पूजा-अर्चना से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है. मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी है जिसके कारण इनकी पूजा करने से भक्तों को अलौकिक तेज और उज्ज्वलित भविष्य मिलता है.
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥ इस जाप का पाठ करने से मां प्रसन्न होती हैं.