मृत्यु के बाद आत्मा का यमलोक तक खौफनाक सफर, गरुड़ पुराण में छिपे डरावने रहस्य!

जब कोई व्यक्ति इस दुनिया से विदा होता है, उसकी आत्मा को अपने कर्मों के अनुसार स्वर्ग या नरक में स्थान मिलता है। गरुड़ पुराण के अनुसार

Advertisement
मृत्यु के बाद आत्मा का यमलोक तक खौफनाक सफर, गरुड़ पुराण में छिपे डरावने रहस्य!

Anjali Singh

  • September 25, 2024 8:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: जब कोई व्यक्ति इस दुनिया से विदा होता है, उसकी आत्मा को अपने कर्मों के अनुसार स्वर्ग या नरक में स्थान मिलता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्मा को यमलोक पहुंचने में 47 दिन का समय लगता है। इस दौरान आत्मा कहाँ भटकती है? आइए जानते हैं।

गरुड़ पुराण की कथा

एक दिन पक्षीराज गरुड़ भगवान विष्णु से पूछते हैं, “हे प्रभु, कृपया बताइए कि मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है?” भगवान विष्णु ने बताया कि जब किसी की मृत्यु होती है, तब उसकी आत्मा 47 दिनों तक भटकती है और कई यातनाएं सहती है। उन्होंने कहा, “जब किसी व्यक्ति की मृत्यु का समय आता है, तो सबसे पहले उसकी आवाज चली जाती है।” इसके बाद, उस व्यक्ति को दिव्य दृष्टि मिलती है, जिससे वह संसार को एक नई दृष्टि से देखने लगता है और उसकी सभी इंद्रियां शिथिल हो जाती हैं।

यमदूतों का आगमन

मृत्यु के समय, यमलोक से दो यमदूत आत्मा को लेने आते हैं। उन्हें देखकर आत्मा डर जाती है और शरीर से बाहर निकल जाती है। यमदूत तुरंत आत्मा को पकड़ लेते हैं और रस्सी बांधकर यमलोक ले जाते हैं। यदि आत्मा पवित्र होती है, तो उसे परमात्मा अपने वाहन पर बिठाकर ले जाते हैं। लेकिन पापी आत्मा को गर्म हवा और अंधेरे से होकर गुजरना पड़ता है।

Journey Of The Soul After Death : Towards Moksha

अंतिम संस्कार का महत्व

जब आत्मा यमलोक पहुँचती है, तो उसे कई प्रकार की यातनाएं दी जाती हैं। इसके बाद, उसे उसी स्थान पर वापस भेज दिया जाता है जहाँ उसने शरीर छोड़ा था। अगर अंतिम संस्कार नहीं हुआ है, तो आत्मा अपने मृत शरीर में प्रवेश करने का प्रयास करती है। लेकिन यमदूत के बंधन के कारण वह ऐसा नहीं कर पाती। इस स्थिति में, आत्मा अपने जलते हुए शरीर को देखकर दुखी होती है।

वैतरणी नदी का कठिन सफर

गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्मा पहले 12 दिनों तक अपने प्रियजनों के बीच रहती है। तेरहवें दिन पिंडदान करने पर आत्मा को यमदूत एक बार फिर से लेने आते हैं। पिंडदान से आत्मा को नई शक्ति मिलती है। इसके बाद, आत्मा वैतरणी नदी को पार करने की यात्रा शुरू करती है।

यदि मनुष्य ने अपने जीवन में गौदान किया है, तो आत्मा उसी गाय की पूंछ पकड़कर वैतरणी नदी पार करती है। लेकिन यदि ऐसा नहीं हुआ, तो पापी आत्मा को कई यातनाओं का सामना करना पड़ता है।

River Of Hell: जानें यमलोक की वैतरणी नदी से जुड़ा रहस्य | story of vaitarani  river in yamlok | HerZindagi

आग की लपटें और यातनाएं

गरुड़ पुराण में वैतरणी नदी को गंगा नदी का रौद्र रूप कहा गया है, जहां से हमेशा आग की लपटें निकलती हैं। इस नदी से गुजरने के दौरान, पापी आत्मा को कई खतरनाक जीवों का सामना करना पड़ता है। आत्मा को लगता है कि कोई उसे इस नदी में डुबोने का प्रयास कर रहा है।

पापी आत्मा को वैतरणी नदी पार करने में 34 दिन लगते हैं। इसके बाद, वह यमदूतों के साथ यमलोक पहुंच जाती है। इस प्रकार, गरुड़ पुराण में वर्णित यह कथा हमें मृत्यु के बाद आत्मा के कठिन सफर के बारे में बताती है। यह कथा हमें यह सिखाती है कि जीवन में अच्छे कर्म करने और सही मार्ग पर चलने से हम सुखद परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

 

ये भी पढ़ें: प्रेतों का रहस्य: मनुष्यों के साथ बैठकर खाते हैं ये अदृश्य जीव, जानें स्कंदपुराण की अनोखी कथा!

ये भी पढ़ें: पापियों की आत्मा निगलने के लिए खून-मवाद से भरी हैं ये खौफनाक नदी, जहां गिद्ध और मगरमच्छ करते हैं जीवित शिकार!

Advertisement