नई दिल्ली: शीशे के सामने जो वस्तु आती है, उसमें उसी का उल्टा प्रतिबिंब दिखता है.. वास्तु शास्त्र में किसी भी स्थान का शीशे में घटने या बढ़ने के गंभीर परिणाम होते हैं. शीशे में सही स्थान पर बढ़ने से समृद्धि और सफलता मिलती है और प्रतिकूल स्थान पर बढ़ने से व्यक्ति के प्राण तक […]
नई दिल्ली: शीशे के सामने जो वस्तु आती है, उसमें उसी का उल्टा प्रतिबिंब दिखता है.. वास्तु शास्त्र में किसी भी स्थान का शीशे में घटने या बढ़ने के गंभीर परिणाम होते हैं. शीशे में सही स्थान पर बढ़ने से समृद्धि और सफलता मिलती है और प्रतिकूल स्थान पर बढ़ने से व्यक्ति के प्राण तक संकट में आ जाते हैं, इतना ही नहीं उसका मान -सम्मान, प्रतिष्ठा नौकरी व्यवसाय सब कुछ धूमिल हो सकता है.
शीशा या मिरर खरीदते समय ध्यान रखना चाहिए कि उसमें आपका चेहरा साफ दिखे, धुंधला या विकृत चेहरा दिखाने वाला शीशा बुरा व नकारात्मक प्रभाव डालता है. ऐसे शीशे से घर में रोग में वृद्धि होती है. घर में कभी भी गोलाकार या त्रिभुजाकार शीशा भूलकर भी नहीं लगाना चाहिए. मंदिर की बात अलग है.
बेडरूम में शीशा नहीं होना चाहिए. कई लोगों को अपने यहां बेडरूम की वार्डरोब के पल्लों पर शीशा लगाने की आदत होती है. ऐसे लोगों के यहां बीमारी पीछा नहीं छोड़ती और आयु कम होने लगती है. शीशे में व्यक्ति का लेटा हुआ प्रतिबिंब पड़ना बहुत ही खराब होता है, यह घातक है, इसे या तो हटा दें या उस पर पर्दा डाल दें. यह आपके शादीशुदा जीवन में दरार कराता है औ बात अलगाव तक भी पहुंच जाती है.
वास्तु के मुताबिक, मुख्य द्वार से आने वाली सकारात्मक ऊर्जा शीशे से टकरा कर वापस चली जाती है. इसी तरह बाथरूम में दक्षिण और पश्चिम की दीवार पर बेसिन व शीशा नहीं लगाना चाहिए. बाथरूम से निकलते हुए सामने की दीवार पर शीशा नहीं होना चाहिए यानी नहाकर बाहर निकलने पर आपकी इमेज इसमें रिफ्लेक्ट नहीं होनी चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए इनख़बर किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है.)