Surya Grahan 2018: सूर्यग्रहण के बाद जरूर रखें इन बातों का ख्याल

surya grahan 2018: इस वर्ष का पहला सूर्यग्रहण 15 फरवरी को है. इससे पहले 15 दिन पहले चंद्रमा ग्रहण लगा था. ग्रहण का सूतक 12 घंटे का माना जाता है एवं चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे का माना जाता है. इसीलिए सूतक के दौरान कुछ काम नहीं करने चाहिए. सूर्यग्रहण के महत्व, सामाजिक व आर्थिक प्रभाव से लेकर क्या करें व क्या न करें तक सभी महत्वपूर्ण जानकारी दे रही हैं मशहूर आचार्य नंदिता पांडे.

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Surya Grahan 2018: सूर्यग्रहण के बाद जरूर रखें इन बातों का ख्याल

Aanchal Pandey

  • February 15, 2018 10:32 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली: वर्ष का दूसरा ग्रहण 15 दिन के अंदर ही 15 फरवरी को लगेगा. यह आंशिक सूर्य ग्रहण रहेगा एवं जंबु द्वीप यानी की भारत में इसका असर नहीं पड़ेगा और इसीलिए भारत में इसका सूतक भी नहीं माना जाएगा. यह ग्रहण दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, आर्जेंटीना, चिली, ब्राजील और अंटार्कटिका आदि देशों में दिखाई देगा. भारतीय समय अनुसार यह ग्रहण 16 फरवरी को 12:25 am पर शुरू होगा एवं इसका मोक्ष काल प्रातः 4 बजे होगा. बता दें पहला ग्रहण 31 जनवरी को पड़ा था उसके 15 दिन के ही पश्चात, दूसरा ग्रहण पड़ रहा है. प्राकृतिक विपदाओं द्वारा ग्रस्त यह काफी हानि कारक हो सकता है. सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे का माना जाता है एवं चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे का माना जाता है.

सूतक / ग्रहण के समय क्या वर्जित है :

1. सूतक के समय या फिर ग्रहण के समय कई नियमों का पालन करना चाहिए.

2. ग्रहण के समय बाहर जाना, मंदिर जाना, खाना खाना, कंघी करना, चाकू आदि के काम करना, मंजन करना, मल-मूत्र करना वर्जित है. गर्भवती महिलाओं को एवं बच्चों को खास कर ग्रहण के वक्त बाहर नहीं जाना चाहिए.

3. ग्रहण के समय नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बहुत ज्यादा होता है. जैसे की अल्ट्रा वोईलेट किरणे हमें नहीं दिखाई देती उसी तरह से हमें नकारात्मक ऊर्जा भी दिखाई नहीं देती लेकिन अपना असर जरूर दिखाती हैं. ग्रहण के समय राहु-केतु का प्रभाव भी अधिक होता है जिस वजह से भावनात्मक एवं मानसिक तौर पर ऐंज़ाइयटी ज्यादा बन जाती है.

सूतक / ग्रहण के समय क्या करें :

1. सबसे पहले खान पान की चीजों पर कुश घास एवं तुलसी के पत्ते अवश्य डालें. इन दोनो में ही नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने की तासीर होती है. ग्रहण के वक्त गंगाजल साथ में रखना भी शुभ माना गया है.

2. ग्रहण के वक्त, मंत्र जाप, यंत्र सिद्धि, रुद्राक्ष सिद्धि अत्यंत शुभ होती है. मंत्र जप, आप मानसिक या फिर बोल कर दोनो ही कर सकते हैं. ऐसा करने से मानसिक, शारीरिक, एवं आत्मीय आंतरिक तौर पर एक अच्छा बैलेन्स बना रहता है एवं व्यक्ति के विचार सुलझे रहते हैं.

3. तंत्र शास्त्र में ग्रहण को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है एवं इसका उपयोग तंत्र, मंत्र, यंत्र सिद्धि के लिए किया जाता है.

ग्रहण के बाद क्या करें :

1. ग्रहण के पश्चात, स्नान आदि कर अपने भार का दशम अंश अन्न, किसी ग़रीब को दान करना चाहिए. पहने हुए कपड़े भी दान कर देने चाहिए. ग्रहण काल में कोई खाना बना हुआ पड़ा हो तो उसे फेंक देना चाहिए या फिर किसी जानवर को खिला सकते हैं.

2. शुद्ध होकर घर के मंदिर में दिया जलाएं एवं धूप बाती दिखाएं. कपूर-लोबान जला कर उसकी धूनी पूरे घर में दिखाएं ताकि किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा वहां से हट जाएं. इसके पश्चात गंगा जल के छींटे अपने ऊपर एवं पूरे घर में छिड़कें.

ग्रहण का सामाजिक,आर्थिक असर: ग्रहण के साथ साथ प्रकृतिक विपदाओं की आशंका रहती है । भूकम्प , आगज़नी , बाड़ , सुनामी , शेयर मार्केट में अचानक उतार चड़ाव , किसी बड़े नामी व्यक्ति का देहांत , बड़े ऐक्सिडेंट , सत्ता पलट , बॉर्डर टेन्शन जैसी स्तिथियाँ अमूमन रहती हैं । समाज में कोई एक वर्ग आपस में लड़ भिड़े यह भी ग्रहण के आस पास ज़्यादा होता देखा गया है ।

आचार्य नंदिता पाण्डेय, ज्योतिर्विद, एस्ट्रोटैरोलोजर , आध्यात्मिक गुरु
email : such.345@gmail.com, +91 9312711293

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