स्कन्द षष्ठी 2018 : जानिए भगवान कार्तिकेय की पूजा का महत्व और व्रत विधि

स्कन्द षष्ठी 2018: गणपति के लिए माह की चतुर्थी तिथि मानी जाती है. दक्षिण भारत में कार्तिकेय को गणपति के छोटे भाई के रूप में पूजा जाता है उत्तर भारत में उन्हें गणपति के बड़े भाई के रूप में पूजा जाता है. दक्षिण भारत में इस व्रत को विशेषकर पूरे जोर शोर से मनाया जाता है. एक दिन पहले से ही उपवास रख कर भगवान मुरुगन का पूजन किया जाता है.

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स्कन्द षष्ठी 2018 : जानिए भगवान कार्तिकेय की पूजा का महत्व और व्रत विधि

Aanchal Pandey

  • February 20, 2018 8:17 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. गणपति के लिए माह की चतुर्थी तिथि मानी जाती है एवं उनके बड़े भाई स्कन्द या कार्तिकेय के लिए षष्ठी तिथि को पूजन का विधान है. दक्षिण भारत में कार्तिकेय को गणपति के छोटे भाई के रूप में पूजा जाता है उत्तर भारत में उन्हें गणपति के बड़े भाई के रूप में पूजा जाता है. माह की षष्ठी तिथि को स्कन्द षष्ठी मनायी जाती है. इसमें भी सबसे महत्वपूर्ण दिन अश्विन मास, भादो, कार्तिक मास एवं चैत्र मास की षष्ठी तिथि को माना जाता है.

इस दिन भगवान शंकर और मां पार्वती की संतान की पूजा की जाती है. शिव के शक्ति पुंज से पैदा हुए कार्तिकेय को छः कृतिकाओं ने पाला पोसा, इसीलिए उनके छः मुख भी दर्शाए जाते हैं. देवताओं के सेनापति माने जाने वाले शिव पार्वती के पुत्र को स्कन्द , कार्तिकेय , मुरुगन आदि नामो से भी पुकारा जाता है.

अगर आपको संतान से सम्बंधित समस्याएं जीवन में हैं, जीवन परेशानियों से घिरा हुआ है, नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह अपने चारों तरफ महसूस करते हैं तो आपको भगवान मुरुगन की शरण में जाना चाहिए. देवताओं के सेनापति भगवान मुरुगन आपकी समस्त समस्याओं से आपको मुक्त कर सकते हैं. सकन्द पुराण में नारद एवं नारायण के संवाद में इस बात की चर्चा हुई है कि अगर कोई संतान सम्बंधित समस्याओं से व्यथित है तो उन्हें मुरुगन ही उन समस्याओं से मुक्त कर सकते हैं. व्रत की महिमा का जिक्र और भी शास्त्रों में मिलता है. कहा जाता है कि च्यवन ऋषि के नेत्रों की ज्योति, कार्तिकेय के पूजन करने से वापस आ गयी थी.

दक्षिण भारत में इस व्रत को विशेषकर पूरे जोर शोर से मनाया जाता है. एक दिन पहले से ही उपवास रख कर भगवान मुरुगन का पूजन किया जाता है. उनके दर्शन कर, उनके जप, मंत्रोचार, कीर्तन को दिन भर किया जाता है. भादो मास में उनके दर्शन करने से ब्रह्महत्या जैसे पापों से भी मुक्ति मिलती है. इस दिन तमिलनाडु में विशेषकर कार्तिक भगवान के दर्शन का विशेष विधान है.

व्रत की विधि

प्रातः काल उठ कर स्वच्छ होकर, शिव परिवार को स्थापित करें, भगवान कार्तिकेय की मूर्ति को विशेषकर स्थापित करें. उन्हें पंचामृत स्नान, गंगाजल स्नान, मोर पंख, वस्त्र, नैवदय, फल फूल, धूप दीप अर्पित करें. दक्षिण भारत में मुर्गे की मूर्ति भी उनके समक्ष अर्पित की जाती है. स्कन्द षष्ठी महात्यम का पाठ करें. व्रत के समस्त नियमों का पालन करें. व्रत के पश्चात सात्विक भोजन करें.

सभी पुराणों में स्कन्द पुराण में सबसे ज्यादा श्लोकों का व्याख्यान है. इस दिन स्कन्द पुराण का पाठ करना भी अत्यंत शुभ होता है. संतान विहीन हों, या संतान बीमार रहती हो, संतान जिद्दी, या किसी भी प्रकार से दुखी कर रही हो, या संतान से सम्बंधित कोई भी कष्ट हो तो आज के दिन, भगवान शिव पार्वती का ध्यान करें एवं उनके पुत्र कार्तिकेय से प्रार्थना करें की संतान सम्बंधित इन कष्टों से आपको मुक्ति मिलें. कार्तिकेय भगवान के प्रसन्न होने से आपके समस्त कष्टों से आपको मुक्ति मिल सकती है.

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