नई दिल्ली: हर वर्ष की तरह इस बार भी देवउठनी एकादशी का पर्व बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं और इस दिन से ही शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। देवउठनी एकादशी को विशेष महत्व दिया गया है क्योंकि यह सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मानी जाती है।
देवउठनी एकादशी को ‘प्रबोधिनी एकादशी’ या ‘देवोत्थान एकादशी’ भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागृत होते हैं। इन चार महीनों को ‘चातुर्मास’ कहा जाता है, जिसमें विवाह, गृहप्रवेश, यज्ञ जैसे शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन से सभी मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं, इसलिए इसे विवाह और अन्य शुभ अवसरों की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है।
1. तुलसी पूजा: तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। इस दिन तुलसी माता और शालिग्राम (भगवान विष्णु का प्रतीक) का विवाह संपन्न किया जाता है। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
2. दीपदान करना: देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीप जलाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन दीया जलाकर भगवान विष्णु की आराधना करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
3. एकादशी व्रत रखना: देवउठनी एकादशी के दिन व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने से पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। यदि व्रत रखना संभव न हो, तो अन्न का त्याग करके भी भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
4. भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करने से मन को शांति मिलती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन इस मंत्र का 108 बार जाप करना विशेष फलदायक माना गया है।
5. भगवान विष्णु की कथा का श्रवण: देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु से संबंधित कथाओं का श्रवण करना भी शुभ माना जाता है। इससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
इस दिन प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीप जलाकर पूजन करना चाहिए। साथ ही, दिनभर भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करना अत्यंत शुभ माना गया है। रात्रि जागरण कर भगवान की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
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