कौरवों से युद्ध में कर्ण ने घटोत्कच का वध कर दिया था। आपको जानकर हैरानी होगी जब घटोत्कच मारा गया तो भगवान कृष्ण यह देखकर बहुत प्रसन्न हुए। आइए आपको इसके पीछे का कारण बताते हैं
नई दिल्लीः महाभारत में पांडवो के पुत्र के बारे में तो सभी जानते हैं। लेकिन आज हम आपको भीम के पुत्र घटोत्कच के बारे में बताएंगे। कौरवों से युद्ध में कर्ण ने घटोत्कच का वध कर दिया था। आपको जानकर हैरानी होगी जब घटोत्कच मारा गया तो भगवान कृष्ण यह देखकर बहुत प्रसन्न हुए। आइए आपको इसके पीछे का कारण बताते हैं
जब श्री कृष्ण के आदेश पर घटोत्कच कर्ण से युद्ध करने गया तो उन दोनों के बीच भयंकर युद्ध शुरू हो गया। घटोत्कच और कर्ण दोनों ही पराक्रमी योद्धा थे, इसलिए उन्होंने एक-दूसरे के आक्रमणों का प्रतिकार करना शुरू कर दिया। इन दोनों के बीच युद्ध आधी रात तक चलता रहा। जब कर्ण ने देखा कि घटोत्कच को किसी भी तरह से हराया नहीं जा सकता तो उसने अपने दिव्य अस्त्र प्रकट किए। यह देखकर घटोत्कच ने अपनी माया से राक्षस सेना को भी प्रकट कर दिया। कर्ण ने अपने अस्त्रों से उसका अंत कर दिया। इधर घटोत्कच ने कौरव सेना का संहार करना शुरू कर दिया।
यह देखकर कौरवों ने कर्ण से कहा कि इंद्र द्वारा दी गई शक्ति से इस राक्षस का अभी ही वध कर दो, अन्यथा वह आज ही कौरव सेना का नाश कर देगा। कर्ण ने वैसा ही किया और घटोत्कच का वध कर दिया।
जब घटोत्कच की मृत्यु हुई तो पांडव सेना में शोक छा गया, लेकिन भगवान कृष्ण प्रसन्न थे। जब अर्जुन ने इसका कारण पूछा तो कृष्ण ने कहा कि जब तक कर्ण के पास इंद्र द्वारा दी गई दिव्य शक्ति थी, तब तक उसे हराया नहीं जा सकता था। उसने वह शक्ति तुम्हें (अर्जुन) मारने के लिए रखी थी, लेकिन अब उसके पास वह शक्ति नहीं है। ऐसे में तुम्हें उससे कोई खतरा नहीं है। इसके बाद श्रीकृष्ण ने यह भी कहा कि यदि कर्ण आज घटोत्कच का वध नहीं करता तो एक दिन मुझे उसका वध करना पड़ता क्योंकि वह एक राक्षस था जो ब्राह्मणों और यज्ञों से द्वेष रखता था। क्योंकि वह तुम सभी का प्रिय था, इसलिए मैंने उसे पहले नहीं मारा।
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