प्रारंभ होने वाला है श्राद्ध पक्ष, जानिए कुंडली में पितृदोष के अचूक उपाय

नई दिल्ली: हर साल, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से अश्विन माह की अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष का समय होता है। यह वह अवधि है जब हम अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करते हैं। इस साल 2024 में श्राद्ध […]

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प्रारंभ होने वाला है श्राद्ध पक्ष, जानिए कुंडली में पितृदोष के अचूक उपाय

Shweta Rajput

  • September 12, 2024 8:48 am Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: हर साल, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से अश्विन माह की अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष का समय होता है। यह वह अवधि है जब हम अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करते हैं। इस साल 2024 में श्राद्ध पक्ष 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक रहेगा। धार्मिक दृष्टि से, इस समय में पितृदोष को शांत करने का विशेष महत्व होता है। श्राद्ध पक्ष का समय पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। यदि कुंडली में पितृदोष पाया जाता है, तो उचित उपाय करने से इसे शांत किया जा सकता है। तर्पण, श्राद्ध, दान-पुण्य, और मंत्र जाप से पितरों को प्रसन्न करके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाई जा सकती है।

कुंडली में पितृदोष की पहचान

1. सूर्य और राहु का संयोजन: कुंडली में यदि सूर्य और राहु एक ही भाव में हों, तो इसे पितृदोष का संकेत माना जाता है। राहु की छाया सूर्य पर पड़ने से व्यक्ति को जीवन में बाधाओं और संघर्षों का सामना करना पड़ता है।

2. सूर्य और शनि का संबंध: शनि के साथ सूर्य का अशुभ संबंध भी पितृदोष का संकेत हो सकता है। इसे पिता या पूर्वजों के कर्मों का प्रभाव माना जाता है।

3. चंद्रमा और राहु का संबंध: यदि चंद्रमा और राहु का अशुभ संबंध हो या राहु चंद्रमा को प्रभावित कर रहा हो, तो यह भी पितृदोष की ओर संकेत करता है।

पितृदोष के उपाय

1. पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म: श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध करना सबसे महत्वपूर्ण उपाय है। यह कर्म पूर्वजों के प्रति कर्तव्यपालन का प्रतीक होता है और इससे पितृदोष शांत होता है।

2. पीपल के पेड़ की पूजा: पितृदोष से मुक्त होने के लिए पीपल के पेड़ की पूजा अत्यधिक फलदायी मानी जाती है। पीपल को जल चढ़ाएं और उसमें दीप जलाएं। इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

3. दान-पुण्य करना: श्राद्ध पक्ष में गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। इससे पितृ दोष के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

4. गाय को भोजन कराना: गाय को हरी घास, चारा, या आटे की लोई खिलाने से भी पितृदोष का शमन होता है। गाय को हिन्दू धर्म में पवित्र और शुभ माना जाता है और इसे खिलाने से पितर संतुष्ट होते हैं।

5. मंत्र जाप: ‘ॐ पितृभ्यो नमः’ मंत्र का जाप पितृ दोष निवारण के लिए बहुत लाभकारी होता है। इस मंत्र का जाप प्रतिदिन 108 बार करना चाहिए।

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