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Shivastakam: सभी मनोकामनाएं करना चाहते हैं पूरी तो सोमवार के दिन करें शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ

नई दिल्लीः सनातन धर्म में भगवान शंकर की पूजा बहुत ही शुभ मानी जाती है। मान्यता के अनुसार भगवान शिव की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। कहा जाता है कि महादेव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का व्रत करना बहुत उपयोगी होता है। ऐसे में अगर आप भोलेनाथ को प्रसन्न करना […]

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Shivastakam: सभी मनोकामनाएं करना चाहते हैं पूरी तो सोमवार के दिन करें शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ
  • March 18, 2024 9:39 am Asia/KolkataIST, Updated 9 months ago

नई दिल्लीः सनातन धर्म में भगवान शंकर की पूजा बहुत ही शुभ मानी जाती है। मान्यता के अनुसार भगवान शिव की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। कहा जाता है कि महादेव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का व्रत करना बहुत उपयोगी होता है। ऐसे में अगर आप भोलेनाथ को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपको सोमवार का व्रत अवश्य करना चाहिए। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

।।शिवाष्टक स्तोत्र।।

जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,

जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे

जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,

जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,

निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,

मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,

त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे,

काशी-पति, श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,

नील-कण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युंजय अविकार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय महेश जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,

किस मुख से हे गुरातीत प्रभु! तव अपार गुण वर्णन हो,

जय भवकार, तारक, हारक पातक-दारक शिव शम्भो,

दीन दुःख हर सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाधर दया करो,

पार लगा दो भव सागर से, बनकर कर्णाधार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय मन भावन, जय अति पावन, शोक नशावन,

विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन शिव शम्भो,

सहज वचन हर जलज नयनवर धवल-वरन-तन शिव शम्भो,

मदन-कदन-कर पाप हरन-हर, चरन-मनन, धन शिव शम्भो,

विवसन, विश्वरूप, प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे।

पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

भोलानाथ कृपालु दयामय, औढरदानी शिव योगी,

सरल हृदय, अतिकरुणा सागर, अकथ-कहानी शिव योगी,

निमिष में देते हैं, नवनिधि मन मानी शिव योगी,

भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर, बने मसानी शिव योगी,

स्वयम्‌ अकिंचन, जनमनरंजन पर शिव परम उदार हरे।

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