Shiva Aarti: पाना चाहते हैं सभी संकटों से मुक्ति, तो भगवान शिव की पूजा करते समय करें ये आरती

नई दिल्लीः देवों के देव महादेव की महिमा अपरंपार है। वह अपने अनुयायियों पर विशेष आशीर्वाद बरसाते हैं। साथ ही, वे बुरे लोगों का नाश करते हैं। वे कहते हैं कि कोई भी दुष्ट व्यक्ति समय बीतने से अछूता नहीं रहता। दूसरी ओर, जो भक्त भगवान शिव के प्रति समर्पित होते हैं, उन्हें नश्वर संसार […]

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Shiva Aarti: पाना चाहते हैं सभी संकटों से मुक्ति, तो भगवान शिव की पूजा करते समय करें ये आरती

Tuba Khan

  • June 3, 2024 9:28 am Asia/KolkataIST, Updated 6 months ago

नई दिल्लीः देवों के देव महादेव की महिमा अपरंपार है। वह अपने अनुयायियों पर विशेष आशीर्वाद बरसाते हैं। साथ ही, वे बुरे लोगों का नाश करते हैं। वे कहते हैं कि कोई भी दुष्ट व्यक्ति समय बीतने से अछूता नहीं रहता। दूसरी ओर, जो भक्त भगवान शिव के प्रति समर्पित होते हैं, उन्हें नश्वर संसार में सभी प्रकार के सांसारिक सुख प्राप्त होते हैं। मरने के बाद भी व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए शिव भक्त हर दिन भक्तिभाव से भगवान शिव की पूजा करते हैं। सोमवार के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा भी की जाती है। अगर आप भी अपने जीवन में सभी प्रकार की चिंताओं और परेशानियों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो सोमवार के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करें। पूजा के दौरान शिव चालीसा का पाठ भी करें। पूजा के अंत में यह आरती करें और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।

शिवजी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा…

एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा…

दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा…

अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।

त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा…

श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा…

कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।

सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा…

ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥

ॐ जय शिव ओंकारा…

लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा..

पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा…

जटा में गंगा बहत है,गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा…

काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा…

त्रिगुणस्वामी जी की आरतीजो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा…

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