Advertisement
  • होम
  • अध्यात्म
  • Sheetala Ashtami: आज है शीतला अष्टमी, जानें इसका महत्व, पूजाविधि और मंत्र

Sheetala Ashtami: आज है शीतला अष्टमी, जानें इसका महत्व, पूजाविधि और मंत्र

नई दिल्ली : चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि और अष्टमी तिथि दोनों दिन देवी शीतला की पूजा करने की परंपरा है.शीतला अष्टमी महोत्सव को कई लोग देवी माँ सप्तमी तिथि की पूजा करते हैं और कई लोग देवी माँ अष्टमी की पूजा करते हैं. कुछ लोग होली के बाद के सोमवार को […]

Advertisement
Sheetala Ashtami
  • April 2, 2024 12:15 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 months ago

नई दिल्ली : चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि और अष्टमी तिथि दोनों दिन देवी शीतला की पूजा करने की परंपरा है.शीतला अष्टमी महोत्सव को कई लोग देवी माँ सप्तमी तिथि की पूजा करते हैं और कई लोग देवी माँ अष्टमी की पूजा करते हैं. कुछ लोग होली के बाद के सोमवार को ठंड का दिन मानते हैं और धरती देवी की पूजा करते हैं. इस त्यौहार में सितारा माता का व्रत किया जाता है और जगत जननी माता पार्वती के रूप में उनकी पूजा की जाती है. माता पार्वती प्रकृति हैं और ये पर्व पर्यावरण एवं स्वास्थ्य की रक्षा की भावना से जुड़ा है. इस दिन शीतला देवी की पूजा करने से कई संक्रामक रोग दूर हो जाते हैं. बता दें कि प्रकृति के मुताबिक शरीर का स्वस्थ रहना जरूरी है, इसलिए तारा अष्टमी का व्रत भी जरूरी है.

शीतला देवी की पूजा का महत्वSheetla Mata Basoda 2024 Date: इस बार शीतला अष्टमी नहीं सप्तमी को मनेगा  बास्योडा, ये है वजह

माता शीतला पवित्रता, स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि की सर्वोच्च देवी हैं। जिस घर में शीतला सप्तमी अष्टमी का व्रत और सप्तमी अष्टमी तिथि का पूजन अनुष्ठान किया जाता है, उस घर में सुख-शांति रहती है और व्यक्ति को रोगों से भी मुक्ति मिलती है. ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति नेत्र रोग, बुखार, चेचक, कुष्ठ रोग, फोड़े-फुंसी या अन्य त्वचा रोगों से पीड़ित है तो मां की पूजा से बीमारियों से राहत मिलती है, इतना ही नहीं अगर भक्त के परिवार का कोई सदस्य मां के कारण इन रोगों से पीड़ित हो तो ये रोग एवं दोष दूर हो जाते हैं. स्कंद पुराण में देवी मां की आराधना का स्रोत शीतलाष्टक बताया गया है. ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र को स्वयं भगवान शंकर ने जनकल्याण में की थी.

शीतला अष्टमी की पूजाविधिSheetla Ashtami: शीतला अष्टमी की पूजा होती है विशेष, जानें क्यों मां को  चढ़ाया जाता है बासी भोजन | Sheetala Ashtami (Basoda) 2021: Date, Timings,  Shubh Muhurat, Puja Vidhi, Importance ...

बता दें कि शीतलाष्टमी के एक दिन पूर्व उन्हें भोग लगाने के लिए घरों में अनेकों प्रकार के पकवान तैयार किए जाते हैं. पूजा वाले दिन महिलाएं सुबह मीठे चावल, दही, रोटी, हल्दी, चने की दाल और लोटे में पानी लेकर पूजा करती हैं. माता शीतला को जल अर्पित करें और उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर भी डालें, जो जल चढ़ाएं और चढ़ाने के बाद जो जल बहता है, उसमें से थोड़ा जल लोटे में डाल लें. ये जल पवित्र होता है. इसे घर के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं, थोड़ा जल घर के हर हिस्से में छिड़कना चाहिए. इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. इसके पश्चात सभी खाद्य पदार्थों से माँ का भोग लगाएं और थाली में बचा हुआ भोजन कुम्हार को दे दें, अब माता शीतला की कथा पढ़कर अपने परिवार के सदस्यों के लिए माता से सुख-शांति एवं आरोग्य की प्रार्थना करें. रोगों को दूर करने वाली मां शीतला का वास वट वृक्ष में माना जाता है, अतः इस दिन वट पूजन भी विधान है.

मंत्र

इस दिन माता को प्रसन्न करने के लिए शीतलाष्टक का पाठ करना चाहिए, मां का पौराणिक मंत्र ‘हृं श्रीं शीतलायै नमः’ भी सभी संकटों से मुक्ति दिलाते हुए जीवन सुख-शांति प्रदान करता है.

Vistara Issue: विस्तारा की 70 उड़ानें आज सकती हैं रद्द, 160 फ्लाइट्स देरी से उड़ीं जानें ऐसा क्यों….

Advertisement