Sheetala Ashtami 2020: शीतला अष्टमी में करें माता की इस विधि से पूजा, जानें शुभ मुहूर्त का समय

Sheetala Ashtami 2020 Date Time Significance Shubh Muhurat Katha in Hindi: शीतला अष्टमी होली के आठवें दिन मनाई जाती है. कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली इस अष्टमी को बासौड़ा के नाम से भी जाना जाता है. जानिए शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

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Sheetala Ashtami 2020: शीतला अष्टमी में करें माता की इस विधि से पूजा, जानें शुभ मुहूर्त का समय

Aanchal Pandey

  • March 16, 2020 5:30 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. Sheetala Ashtami 2020 Date Time Significance Shubh Muhurat Katha and importance in Hindi: होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी मनाने का विधान है. इस बार शीतला अष्टमी 16 मार्च सोमवार को मनाई जा रही है. कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली इस अष्टमी को बासौड़ा के नाम से भी जाना जाता है. शीतला अष्टमी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है. शीतला अष्टमी ऋतु परिवर्तन का संकेत भी देती है. इस बदलाव से बचाव के लिए साफ- सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है. साथ ही इस अष्टमी के बाद बासी खाना भी नहीं खाया जाता. नीचे जानिए शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

शीतला माता को चेचक जैसे रोग की देवी कहा गया है. शीतला देवी हाथों में कलश, मार्जन और नीम के पत्ते धारण करती हैं. शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता की पूजा के समय मीठे चावलों का भोग लगाया जाता है. ये चावल गुड़ या गन्ने के रस से बनाए जाते हैं. इसे सपत्मी की रात को तैयार किया जाता है जो सभी सदस्यों को खिलाया जाता है. शुभ मुहूर्त की बात करें तो इस साल शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त 16 मार्च सुबह 6. 46 से शाम 6. 48 तक होगा.

शीतला अष्टमी की पूजा विधि

शीतला अष्टमी के दिन सुबह उठकर नहा लें. फिर पूजा की थाली तैयार करें. थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, सप्तमी को बने मीठे चावल, नमक पारे और मठरी रख दें. दूसरी थाली में आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, होली वाले बड़कूले की माला, सिक्के और मेहंदी रख दें. दोनों थाली के साथ लौटे में ठंडा पानी रखें.

अब शीतला माता की पूजा करें और दीपक बिना जलाए ही मंदिर में रखें. माता को चीज चढ़ाने के बाद खुद और घर के सभी सदस्यों को हल्दी का टीका लगाएं. घर में पूजा करने के बाद मंदिर में पूजा करें जहां पहले माता को जल चढ़ाएं फिर हल्दी और रोली का टीका करें.

मेहंदी, मोली और वस्त्रों को अर्पित करें. बड़कुले की माला व आटे के दीपक को बिना जलाए अर्पित करें. अंत में थोड़ा जल चढ़ाएं. फिर सभी सदस्यों की आंख पर लगाएं और थोड़ा जल घर में छिड़क दें. फिर जहां होलिका दहन हुआ था वहां पूजा करें, थोड़ा जल चढ़ाएं और पूजन सामग्री चढ़ाएं.

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