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Sheetala Ashtami 2019 Date: शीतला अष्टमी की जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Sheetala Ashtami 2019 Date: शीतला सप्तमी का त्योहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है. वहीं कुछ स्थानों पर ये व्रत अष्टमी तिथि पर भी मनाया जाता है. यह होली के आठवें दिन मनाया जाता है. शीतला अष्टमी पर जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में संपूर्ण जानकारी.

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Sheetala Ashtami 2020 Date Time Significance Shubh Muhurat Katha and importance in Hindi
  • March 27, 2019 5:38 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. Sheetala Ashtami 2019: शीतला अष्टमी का पर्व है. शीतला अष्टमी को बसौड़ा भी कहते हैं. यह होली के आठवें दिन मनाया जाता है. इस बार यह अष्टमी 28 मार्च को है. यह पर्व माता शीतला को समर्पित होता है. होली के बाद इसे चैत्र कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी पर मनाया जाता है. हिंदु मान्यता के मुताबिक शीतला अष्टमी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है.

शीतला अष्‍टमी को उत्‍तर भारत के राज्‍यों राजस्‍थान, यूपी और गुजरात में मुख्य रूप से मनाया जाता है. शीतला अष्‍टमी पर शीतला माता की पूजा होती है. इस दिन उन्‍हें बासी खाने का भोग लगाया जाता है. शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा के बारे में जानिए.

शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त 28 मार्च सुबह 06:27 से लेकर शाम 18:37 तक है. हिंदु मान्यता के मुताबिक शीतला माता को चेचक जैसे रोग की देवी माना जाता है. शीतला माता के प्रसन्न होने से हर तरह के रोग और दोष समाप्त हो जाते हैं. इन दिनों में शीतला माता की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. शीतला माता की पूजा के बाद उन्हें ठंडा यानी बासी प्रसाद का भोग लगाया जाता है.

शीतला अष्टमी की पूजा विधि इस प्रकार है.शीतला अष्टमी पर ब्रह्म मुहूर्त में उठा जाता है स्नान किया जाता है. अगर आप व्रत रख रही हैं, तो शीतला माता के मंत्र से व्रत का संकल्प लें. पूजा की थाली तैयार करें. थाली में पुआ, रोटी, बाजरा, दही, सप्तमी को बने मीठे चावल, नमक पारे और मठरी रखें. वहीं दूसरी थाली में आटे से बना दीपक, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, रोली, मोली, होली वाली बड़कुले की माला, सिक्के और महंदी रखें.

दोनों थाली के साथ में लोटे में ठंडा पानी रखें. इसके बाद विधि-विधान और सुगंधित फूलों से माता की पूजा करें. एक दिन पहले बनाए हुए भोजन, मेवे, मिठाई, पूआ आदि का भोग लगाएं. अगर आप चतुर्मासी व्रत कर रहे हैं तो भोग में माह के अनुसार ही भोग लगाएं.

अब शीतला स्रोत का पाठ करें या कथा सुनें. रात में जगराता और दीपमालाएं प्रज्‍ज्‍वलित करने का विधान है. कठोर व्रत रखने वाली महिलाएं उस दिन घरों में चूल्हा नहीं जलातीं, इसलिए उन घरों में उस दिन बासी भोजन ही ग्रहण किया जाता है.

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