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24 या 25 किस दिन है षटतिला एकादशी, जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। षटतिला एकादशी भी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है, जो माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है।

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Shattila Ekadashi
  • January 9, 2025 1:34 pm Asia/KolkataIST, Updated 11 hours ago

नई दिल्ली: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। षटतिला एकादशी भी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है, जो माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से और व्रत का पालन करने से व्यक्ति को मनचाहा फल प्राप्त होता है।

सही तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल शुक्रवार 24 जनवरी को 7 बजकर 25 मिनट पर माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत होगी। इसके साथ ही अगले दिन शनिवार 25 जनवरी को रात 8 बजकर 31 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। उदया तिथि के अनुसार इस साल 25 जनवरी के दिन षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। 26 जनवरी सुबह 7 बजकर 12 मिनट से लेकर 9 बजकर 21 मिनट के शुभ मुहूर्त इस दिन पारण का होगा।

पूजा विधि

1. स्नान और संकल्प: व्रत के दिन प्रातःकाल तिल मिले जल से स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु की आराधना का संकल्प लें।

2. भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा: भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करें, पुष्प अर्पित करें और तिल से निर्मित प्रसाद चढ़ाएं।

3. तिल का उपयोग: इस दिन तिल का विशेष महत्व है। तिल का उबटन, तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल का तिलक, तिल का भोजन, तिल से हवन और तिल का दान करें।

4. व्रत कथा का श्रवण:* षटतिला एकादशी की व्रत कथा का श्रवण करें, जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

5. भजन-कीर्तन: दिनभर भगवान के भजन-कीर्तन करें और आध्यात्मिक चिंतन में समय बिताएं।

6. व्रत पारण: अगले दिन द्वादशी तिथि को शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।

षटतिला एकादशी का महत्व

षटतिला एकादशी का व्रत करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन तिल के छह प्रकार के उपयोग—स्नान, उबटन, तिलक, भोजन, हवन और दान—से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। भगवान विष्णु की कृपा से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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