Shardiya Navratri 2020: शारदीय नवरात्रि का पर्व धूम-धाम से पूरे देश में मनाया जा रहा है. नवरात्रि के इस पर्व में मां दुर्गा के नौ शक्ति स्वरूपों की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है. इस बार लोगों के मन में अष्ठमी और नवमी की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई है. इस आर्टिकल में आपके मन में बनी इसी भ्रम की स्थिति को दूर करने का प्रयास किया गया है.
Shardiya Navratri 2020: शारदीय नवरात्रि 2020 का पावन पर्व शुरू हो चुका है. नवरात्रि के त्योहार में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का विधि विधान से पूजन किया जाता है. नवरात्रि के पहले दिन से लेकर नौवें दिन तक मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी मां, चंद्रघंटा माता, कूष्मांडा माता, स्कंध माता, कात्यायनी माता, कालरात्रि माता, सिद्धिदात्री माता का पूजन किया जाता है. इस बार अष्टमी और नवमी की तिथि को लेकर आशंका की स्थिति बनी हुई है. मालूम हो कि हिंदू पचांग के हिसाब से चंद्रमा के अुनुसार त्योहार मनाए जाते हैं. इसके कारण कोई तिथि नौ घंटे की होती है तो कोई 12 घंटे की. ऐसे में कभी-कभी लोगों में तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बन जाती है. आइए जानते हैं अष्टमी और नवमी तिथि के बारे में सही जानकारी.
जानें कब होगी अष्टमी-नवमी तिथि
पंचांग के अनुसार 23 अक्तूबर शुक्रवार सुबह 06:57 से अष्टमी तिथि आरंभ हो जाएगी जो 24 अक्तूबर सुबह 6:58 तक रहेगी. उसके बाद नवमी तिथि 06:58 से आरंभ होकर 25 अक्तूबर सुबह 7:41 तक रहेगी. तो वही 25 अक्तूबर को 7:41 से दशमी तिथि आरंभ होगी जो 26 अक्तूबर सुबह 9:00 बजे तक रहेगी. इस तरह से 25 अक्तूबर को ही दशमी तिथि लगने के कारण इसी दिन दशहरा मनाया जाएगा.
इस दिन होगा पारण
नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन हवन और उसके बाद नवमी तिथि को कन्या पूजन करने के बाद माता रानी को विदा करके व्रत का पारण किया जाता है. कुछ लोग हवन के बाद अष्टमी तिथि को ही कन्या पूजन करते हैं. लेकिन पारण समापन तिथि के बाद ही किया जाता है. अष्टमी तिथि को मां महागौरी और नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है.
कन्या पूजन का महत्व
नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री के पूजन के साथ कन्या भोजन करवाने बहुत महत्व माना गया है. नवरात्रि में मां के नौं स्वरुप मानकर नौ कन्याओं का पूजन किया जाता है. नवरात्रि में नौ कन्याओं के साथ एक बालक को भी बटुक भैरव या लांगुर का रुप मानकर पूजन किया जाता है. 2 से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को भोजन कराने का विशेष महत्व माना गया है.
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