Shardiya Navratri 2019: शारदीय नवरात्रि हिंदुओ का सबसे पवित्र त्योहार माना जाता है. इस साल शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर से शुरू हो रहे हैं. जो कि 7 अक्टूबर तक रहेंगे और 8 सितंबर को देश भर में दशहरा मनाया जाएगा. आज शो में बताया गया है कि अगर नवरात्रि के व्रत के बीच महिला को मासिक धर्म आ जाता है तो किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए साथ कौन-कौन से नियमों का पालन रखना जरूरी है.
नई दिल्ली. Shardiya Navratri 2019: शारदीय नवरात्र व्रत हिंदू धर्म के लिए बहुत महत्व होता है. कहा जाता है इस महीने से शुभता और ऊर्जा की शुरूआत होती है. शारदीय नवरात्रि को दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है. नवरात्रि में मां दुर्गा पूजा करने से सुख-समृध्दि आती है. शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन, दशहरा या विजया दशमी होता है. शारदीय नवरात्रि के दौरान 9 दिन का व्रत किया जाता है. मां दुर्गा के 9 रूपों की अराधना की जाती है इस साल शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर 2019 से शुरू होकर 7 अक्टूबर 2019 तक रहेंगे. लेकिन आज शो में उन महिलाओं के बारे में बात की जा रही है, जिन्हें नवरात्रि के व्रत रखा हो लेकिन इस बीच उन्हें मासिक धर्म भी आ जाए, ऐसे में उन्हें किस प्रकाऱ व्रत के नियमों का करना चाहिए.
हिंदू शास्त्रों में मासिक धर्म को लेकर कई मान्यताएं हैं, ऐसे में नवरात्रि के बीच में जब कभी मासिक धर्म आ जाता है उसे कुछ भी समझ नहीं आता कि वो व्रत रखे या ना रखे. लेकिन घबराइए मत आज हम आपको बता रहे हैं कि मासिक धर्म के दौरान महिलाएं किस तरह नवरात्रि का व्रत रख सकती है. इतना ही नहीं मासिक धर्म के दौरान अगर महिला व्रत रखती है तो उसे कई नियमों का भी पालन करना पड़ता है.
नवरात्रि के दौरान मासिक धर्म आ जाए तो महिलाओं को इन – इन नियमों का पालन करना बेहद जरूरी हो जाता है.
1. सबसे पहला नियम यह कहता है कि अगर आपको नवरात्रि शुरू होने से पहले अपने मासिक धर्म शुरू होने का पता चल जाए तो यही सही होगा कि आप नवरात्रि का व्रत न रखें.
2. अगर आपने मासिक धर्म के दौरान व्रत रख भी लिया है तो ऐसे में खुद माता की पूजा न करके किसी और से पूजा करवाएं.
3. मासिक धर्म के दौरान व्रत करने वाली महिलाए इन नौ तक तक दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें.
4. नवरात्रि में जिन महिलाओं को मासिक धर्म आ जाए वो व्रत में हर रोजा दुर्गा माता के व्रत का जाप जरूर करें
5. मासिक धर्मवाली व्रती किसी भी पूजा के सामान को हाथ न लगाएं और ना ही कभी खुद माता को भोग लगाएं और व्रत के आखिरी दिन माता से क्षमा जरूर मांगे.
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