Shardiya Navratri 2019: सिद्धि प्रप्ति के लिए नवरात्रि में मां ब्रह्मचारिणी की कथा करें. मां की महिमा किसी से छुपी नहीं है. उनके सिद्घ मंत्रों का जाप करके, उनका आशीर्वाद लेकर अपने जीवन में ज्ञान प्रप्ति कर सकते हैं. देवी मां ने भगवान शंकर को पाने के लिए किए हैं, हजारों सालों की तपस्या की है. देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है. मां के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं.
नई दिल्ली. शारदीय नवरात्र शुरू होने के साथ ही पूरे देशभर में त्योहारों का सीजन आरंभ हो गया है. हिंदू धर्म में नवरात्र का अपना अलग ही महत्व है. मां दुर्गा के भक्तजन नवरात्रि की तैयारी बड़े ही धूमधाम से करते हैं. इस बार पूरे 9 दिन मनाई जाएगी नवरात्रि. मां दुर्गा के उपासना करने से साधक को उसके साधना से की गई पूजा के कई गुणा अधिक फल की प्रप्ति होती है. नवरात्र के 9 दिनों मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है. मां के भक्तजन इस दिन अपने मन को मां के चरणों में लगाते हैं. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण. इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का मतलब होता है, तप का आचरण करने वाली.
नवरात्रि में दुर्गा पूजा के अवसर पर पूरी विधी-विधान से माता दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं दूसरी देवी ब्रह्मचारिणी के बारें में- पूर्व में इस देवी का जन्म राजा हिमालय के घर पुत्री के रूप में हुई थी. नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर जी को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी. इस कठिन तपस्या के वजह से इन्हें तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है. 1 हजार साल तक इन्होंने सिर्फ फल-फूल खाकर बिताएं.
सौ सालों तक जमीन पर रहकर शाक पर गुजारा किया. कठिन तपस्या के वजह से देवी मां का शरीर बिल्कुल क्षीण हो गया. इनकी तपस्या को देवता, ऋषि, मुनी और सिद्धगण ने अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सरहाना की और कहा हे देवी आज तक किसी ने इतनी कठोर तपस्या नहीं की. य़ह आपसे ही संभव थी. आपकी मनोकामना अवश्य परिपूर्ण होगी और भगवान शिवजी पति के रूप में प्राप्त होंगे.
मां ब्रह्मचारिणी देवी के कृपा से सर्वसिद्धि प्राप्त होती है. दुर्गा पूजा के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है. इस माता की कथा का सार यह है कि कठिन समय में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए.
मां की उपासना का मंत्र
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥