नई दिल्ली. इस समय पूरे देश में नवरात्रि की तैयारी चल रही है. इस साल शारदीय नवरात्र 29 सितबंर से शुरू होगा और 7 अक्टूर तक चलेगा. नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्र के पहले दिन यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा की पूजा आंरभ होती है. पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होती है.
मां दुर्गा के पहले रुप शैलपुत्री का जन्म राजा हिमालय के यहां हुआ था जिसकी वजह से उनका नाम शैलपुत्री पड़ा. मां शैलपुत्री का वाहन वृषभ, दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित होता है. अपने पूर्व के जन्म में ये प्रजापति दक्ष के यहां कन्या के रूप में उतपन्न हुई थीं. तब इनका नाम सती था.
इनका विवाह शंकर जी से हुआ था. मां सती का कहानी इस प्रकार है- एक बार प्रजापति दक्ष ने यज्ञ करवाने का फैसला लिया उन्होंने सभी देवी-देवताओं को बुलावां भेजा लेकिन भगवान शिव को निमंत्रण पत्र नहीं भेजा. देवी सती असवस्त थी कि उनको भी निमंत्रण पत्र आएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआं. फिर भी देवी सती अपने पिता के यज्ञ में जाना चाहती थी.
किसी तरह शिव जी को अपने पिता के यहां जाने के लिए मना लिया. जब वह अपने पिता के यहां गई तो देखा कि उनका आदर-भाव कोई नहीं कर रहा है. बल्कि यज्ञ में आई उनकी बहनें अपने पिता के साथ मिलकर भगवान शिव की अपमान कर रहीं हैं. माता सती भगवान शिव की अपमान का सहन ना कर सकी और उन्होंने उसी यज्ञ के आग में स्वंय को भस्म कर लिया.
अगले जन्म में राजा हिमालय के पुत्री के रूप में जन्म लिया और शैलपुत्री के रूप में विख्यात हुई. इस जन्म में भी शैलपुत्री देवी का विवाह भगवान शिव के साथ ही हुई. नव दुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री का महत्व और शक्तियां अन्नत हैं. नवरात्र पूजा में पहले दिन माता शैलपुत्री का ही पूजा और उपासना की जाती है. इनकी पूजा करने से ‘मूलाधार चक्र’ जाग्रत होता है. जिससे आपको अनेक प्रकार की उपलब्धियां प्राप्त होती हैं.
इन सिद्ध मंत्रों के जाप से आपको और आपके परिवार की पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं.
ध्यान
वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृत शेखराम्।
वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्वनीम्॥
पूर्णेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्॥
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥
प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुग कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्॥
स्तोत्र पाठ
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥
कवच
ओमकार: में शिर: पातु मूलाधार निवासिनी।
ह्रींकार: पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥
श्रींकार पातु वदने लावाण्या महेश्वरी ।
हुंकार पातु हदयं तारिणी शक्ति स्वघृत।
फट्कार पात सर्वांंगे सर्व सिद्धि फलप्रदा॥
Shardiya Navratri 2019: इस नवरात्रि मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए करें इन सिद्ध मंत्रों का जाप
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